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________________ और अब पूज्य समन्तभद्र महाराज भी ........ 103 बात यहाँ तक रहती तो ठीक थी, पर महान विद्वान एवं वयोवृद्ध पूज्य मुनिराज श्री समन्तभद्र महाराज ने भी जब सुरक्षा ट्रस्ट से सहयोग की बात कही और कहा कि मेरी प्रेरणा से ही यह ट्रस्ट बना है तो ये लोग उन पर भी गर्हित आरोप लगाने से नहीं चूके। ___ बात सिर से ऊपर जा रही है। समाज को इस पर गम्भीरता से विचार करना चाहिए। अपने को सार्वभौम सत्ता के धनी समझनेवाले ये लोग अभी तो नये दिगम्बरों को ही गैर दिगम्बर घोषित करने की कल्पनायें करते थे, फिर उनके अनुयायी जन्मजात दिगम्बरों को भी बहिष्कृत करने की सोचने लगे थे; किन्तु अब तो नग्न दिगम्बरों को भी नहीं छोड़ रहे हैं। ___ इनकी बातों का कोई ठिकाना भी तो नहीं है। एक ओर लिखते हैं कि ये सोनगढ़िया शादी-विवाह भी अपने पक्षवालों से ही करते हैं और इस तरह समाज में फूट डाल रहे हैं। दूसरी ओर स्वयं समाज से अपील करते हैं कि इनसे बेटी-व्यवहार न करो। एक ओर कहते हैं कि इन्हें हमने उखाड़ दिया, अब इन्हें कोई पानी देनेवाला भी नहीं है; पर दूसरी ओर चिल्लाते हैं कि ये छाते जा रहे हैं; पता नहीं क्या सही है? एक ओर लिखते हैं ललितपुर या अन्य जगह अब इन्हें कोई पूछने वाला नहीं; दूसरी ओर लिखते हैं कि लाखों रुपया वहाँ की समाज से ले गये। यदि कोई पूछने वाला नहीं तो लाखों कहाँ से ले गये, कैसे ले गये? यदि लाखों समाज ने दिये तो स्पष्ट है कि समाज उनके साथ है। एक ओर लिखते हैं कि इनके विद्वान आते हैं तो कुछ लेते नहीं, बल्कि कुछ दे जाते हैं। दूसरी ओर लिखते हैं बिक गये हैं। समझ में नहीं आता क्या सही है? पागल जैसी बातें करते हैं। पर अब समाज इनकी सब बातें समझने लगी है। अत: इन्हें खड़े होने को कहीं स्थान नहीं हैं। एक वर्ष से भोपाल, विदिशा, खुरई आदि स्थानों पर कार्यक्रमों की घोषणा करते आ रहे हैं; पर कहीं कार्यक्रम कर नहीं पाये। करें कैसे? इन्हें व्यक्तिगत हजारों रुपया चाहिए। समाज को एकबार धोखा दिया जा सकता है, बार-बार नहीं। काठ की हाँडी
SR No.009446
Book TitleBikhare Moti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla, Yashpal Jain
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2001
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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