________________
100
बिखरे मोती होगा, उसके नाम पर एक कलंक अवश्य लगेगा। सारा जगत और इतिहास इस बात का उल्लेख एक कलंक के रूप में स्मरण किए बिना नहीं रहेगा।
जिनवाणी के जलप्रवाह और अपमान की घटनाओं के कारण भी दिगम्बर जैन समाज एवं इसके करनेवाले, उकसाने वाले तथाकथित धर्मात्माओं को नीचा ही देखना पड़ा है। इस तूफान में भी उद्वेलित न होनेवाले स्वामीजी का प्रभाव बढ़ा ही है, घटा नहीं। मेरा पूरा-पूरा विश्वास है, यदि ऐसा कुछ हुआ तो यह सब दिगम्बर जैन समाज को स्वामीजी के प्रति और अधिक आकर्षित करेगा, उनसे विरत नहीं। __ जिनवाणी को जलप्रवाह करनेवालों ने कुछ खोया ही है, पाया नहीं। उन्होंने अपनी प्रतिष्ठा को घटाया ही है, बढ़ाया नहीं। थूबोनजी आदि स्थानों पर हुई घटनाओं से यह स्पष्ट साबित हो गया है।
समझदार को इशारा काफी होता है।
LIXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXX
: आरम्भ में जब सत्य बात का विरोध होता है तो कुछ समय को ऐसा
लगने लगता है कि यह बात अधिक चलेगी नहीं, दब जावेगी। तीव्रतम विरोध के कारण जब सत्य के प्रचार की गतिविधियाँ कुछ दब-सी जाती हैं या कुछ दिनों को बन्द हो जाती हैं तो यह भी लगने लगता है कि यह बात समाप्त हो गई है, अब इसके उभरने का कोई अवसर नहीं। ___पर यह सब स्थिति क्षणिक होती है। वस्तुतः होता तो यह है कि दबाने से सत्य अपनी शक्ति और सन्तुलित तैयारी के साथ तेजी से उभरता है; इसलिए तो कहा जाता है कि विरोध प्रचार की कुंजी है। __ वस्तुत: विरोध से होता यह है कि वह बात विरोधियों के माध्यम
से उन लोगों तक भी पहुँच जाती है, जिसके पास प्रचारकों के माध्यम - से पहुँचना सम्भव नहीं होता; क्योंकि जहाँ प्रचारकों के प्रवेश व पहुँच
नहीं होती, वहाँ विरोधियों की होती है। – सत्य की खोज,पृष्ठ १३८
XXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXX