________________
यदि जोड़ नहीं सकते तो
99
इन सब स्थितियों के कारण एकबार फिर तेरापंथ बीसपंथ का झगड़ा सिर उठा रहा है, जो समाज के हित में बिलकुल ठीक नहीं है। सारी समाज का हित इसी में है कि जहाँ जो पूजन-पद्धति चल रही है, उसी को चलने दें। अन्यथा समाज के विघटन का भय है ।
सभी लोगों से मेरा विनम्र अनुरोध है कि स्वामीजी एवं उनके अनुयायियों के विरुद्ध कुछ भी करने के पूर्व एकबार गंभीरता से विचार करें कि यदि हम दिगम्बर धर्म में किसी को जोड़ नहीं सकते तो कम से कम तोड़ने का यत्न तो न करें ।
यह कैसी विचित्र विडम्बना है कि कुन्दकुन्दाचार्य जिस दिगम्बर परम्परा के सर्वश्रेष्ठ आचार्य माने जाते हैं । प्रत्येक दिगम्बर जैन शास्त्र पढ़ने के पूर्व जिन कुन्दकुन्दाचार्य को भगवान महावीर और गौतम गणधर के साथ प्रतिदिन स्मरण करते हैं । उसी दिगम्बर परम्परा के कुछ तथाकथित संरक्षक कुन्दकुन्दाचार्य के परमभक्त, कुन्दकुन्द की वाणी को जन-जन तक पहुँचाने वाले, कुन्दकुन्द वाणी से प्रभावित होकर कुल, जाति, प्रतिष्ठा, समुदाय आदि सब कुछ बलिदान करने वाले कुन्दकुन्द के सबसे बड़े अनुयायी को अपने क्षुद्र स्वार्थों की पूर्ति हेतु गैर दिगम्बर घोषित करने की बचकाना हरकतें कर रहे हैं ।
महात्मा गांधी के दुर्भाग्यपूर्ण अन्त पर डॉ. राधाकृष्णन ने लिखा था • कि - " एक सबसे बड़ा हिन्दू हिन्दुत्व की रक्षा के नाम पर एक हिन्दू द्वारा ही मारा गया ।" कानजी स्वामी को गैर दिगम्बर घोषित करने की सोच वालों को एकबार गम्भीरता से सोचना चाहिए कि एकबार फिर किसी राधाकृष्णन् को यह न लिखना पड़े कि कुन्दकुन्दाचार्य के सबसे बड़े भक्त को कुन्दकुन्दाचार्य के तथाकथित भक्तों द्वारा कुन्दकुन्द की रक्षा के नाम पर गैर दिगम्बरं घोषित किया गया ।
I
यद्यपि इस घोषणा से स्वामीजी पर कोई असर पड़ने वाला नहीं है । समस्त दिगम्बर समाज पर भी इसका कोई विशेष प्रभाव पड़ने वाला नहीं है; तथापि यदि यह दुर्घटना घटित हुई तो दिगम्बर जैन समाज का माथा नीचा अवश्य