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यदि जोड़ नहीं सकते तो
( जैनपथप्रदर्शक, १६ मई, १९७७ के अंक से )
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भगवान महावीर के २५०० वें निर्वाण वर्ष में जो सामाजिक एकता का वातावरण वना था, वह निर्वाण महोत्सव समितियों के समापन समारोह तक भी कायम नहीं रह सका। गुजरात समिति का समापन समारोह तो अभी २२-५-७७ को प्राँतिज में होने जा रहा है। किन्तु राजस्थान समिति का समापन समारोह जब ६-७ माह पूर्व जयपुर में सम्पन्न हुआ था; तब तो सामजिक वातावरण उत्तेजना के चरम बिन्दु पर था ।
गोहाटी - नैनवां की घटनाएं एकदम ताजी थीं । जिनवाणी के अपमान और जलप्रवाह की घटनाओं ने समाज को आन्दोलित कर दिया था । उस अवसर पर आदरणीय साहूजी ने जो उद्गार व्यक्त किये थे; वे उद्गार मात्र उनके नहीं, वरन् सम्पूर्ण समाज के थे । उसके बाद उसीप्रकार के उद्गार उन्होंने हस्तिनापुर के मेले में एक लाख जनता के बीच भी व्यक्त किये थे ।
एक मार्मिक अपील भी समाज के नाम अनेक गणमान्य व्यक्तियों के हस्ताक्षरों सहित निकाली गई थी। सुना है उसका ड्राफ्टिंग स्वयं साहूजी ने किया था । उसका असर समाज पर बहुत अच्छा हुआ। समाज में सर्वत्र शान्ति का वातावरण छा गया। सर्वत्र जिनवाणी के अपमान करने की निन्दा हुई, सभी द्वारा इस दुष्कृत्य की भर्त्सना की गई।
यद्यपि सम्पूर्ण समाज उक्त घटनाओं से दुःखी था और साहूजी एवं समाज के अन्य प्रमुख व्यक्तियों, मुनिराजों, विद्वानों की अपील पर शान्ति बनाये रखी गई थी; तथापि कुछ कलहप्रिय लोग कुछ-न-कुछ करते ही रहे । अपील निकालने वालों की निन्दा करते रहे, उन पर तरह-तरह के इल्जाम लगाते रहे ।