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महासमिति
93 यह समाचार सुनकर सारे देश की दिगम्बर जैन समाज में हर्ष की लहर छा गई। किन्तु कुछ कलहप्रिय महत्त्वाकांक्षी लोगों ने इसके विरुद्ध विषवमन आरम्भ कर दिया एवं वातावरण को विक्षुब्ध करने का प्रयत्न किया - तो दुःखी होकर साहू शांतिप्रसादजी ने इसे स्थगित करने की घोषणा कर दी।
श्री साहूजी की घोषणा से समाज हतप्रभ रह गया। चारों ओर से उन पर दबाव डाला जाने लगा कि चन्द लोगों के कारण आप यह क्या कर रहे हैं ? तब फिर साहूजी ने महासभा के अध्यक्ष श्री लक्ष्मीचन्दजी छाबड़ा सहित समाज के अनेक प्रमुख व्यक्तियों की सलाह एवं अनुरोध पर महासमिति बनाने की घोषणा की। ___ महासमिति के विधिवत गठन के लिए समिति बना दी गई है। उसके विधान बनाने को उपसमिति भी गठित कर दी गई है। विधान तैयार हो रहा है। अभी निर्वाणसमितियों को ही महासमिति के रूप में परिवर्तित कर दिया गया है। प्रदेशीय समितियों का गठन आरम्भ हो गया है। उत्तर प्रदेश, राजस्थान आदि प्रदेशों में गठित भी करली गई हैं। फिर एक बार समाज में हर्ष की लहर छा गई।
किन्तु वे ही निहित स्वार्थ फिर हो-हल्ला मचा रहे हैं। महासमिति के विरुद्ध यत्र-तत्र विषवमन कर रहे हैं, प्रस्ताव पास कर रहे हैं। शान्ति की अपील निकालने वाले समाज के गणमान्य नेताओं के विरुद्ध भर्त्सना-प्रस्ताव पास कर रहे हैं। उन्हें याद रखना चाहिये कि समाज ऐसे विघटनकारी तत्त्वों को कभी प्रोत्साहन नहीं देगा। __ वे चाहे कितना ही बोखलाएँ महासमिति तो बन ही गई है और वह अब तेजी से अपना काम भी आरम्भ कर रही है। उनकी बौखलाहट से महासमिति के कार्यकलापों पर कोई प्रभाव पड़ने वाला नहीं है । पर जैन एकता का इतिहास उन्हें कभी माफ नहीं करेगा।
हमारा उनसे आग्रहपूर्ण अनुरोध है कि वे समय रहते चेतें, समय की गति को पहिचानें । यह युग संगठन का युग है। इसमें विघटनकारी तत्त्वों को कोई स्थान नहीं है।