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निर्माण या विध्वंस (जैनपथप्रदर्शक, १ मई, १९७७ के अंक से) गत एक वर्ष से दिगम्बर जैन समाज जिस वातावरण से गुजरा है, उसमें एक बात स्पष्ट रूप से सामने आई है कि समाज का बहुभाग शांति चाहता है, शांतिपूर्ण उपायों से ही अपनी संस्कृति, सांस्कृतिक विरासत, तीर्थों एवं जीवन्त तीर्थ जिनवाणी की सुरक्षा और समृद्धि करना चाहता है । सामाजिक विपन्नता और कुरीतियों को भी समाप्त कर समाज के प्रत्येक व्यक्ति को सुखी, शिक्षित, सदाचारी और सुनागरिक बनाना चाहता है।
इन सब के लिए अपने-अपने स्तर का चिंतन भी पर्याप्त हुआ तथा रचनात्मक कार्यों की दिशा में कदम भी उठे हैं।
तीर्थों की सुरक्षा के लिए भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थ क्षेत्र कमेटी इन दिनों काफी सक्रिय हुई है, उसने गत एक-दो वर्षों में अपनी निधि को चालीस लाख के ऊपर पहुँचा दिया है। श्री कुंदकुंद कहान दिगम्बर जैन तीर्थ सुरक्षा ट्रस्ट ने भी लगभग इतना ही रुपया जमा किया है। इसप्रकार दिगम्बर जैन समाज की बहुत दिनों से चली आ रही तीर्थ रक्षा के लिए एक करोड़ रुपया इकट्ठा करने की अर्थ व्यवस्था पूर्ण होने जा रही है। यदि इसीप्रकार दोनों ट्रस्टों की प्रगति चलती रही तो लगता है दीपावली के पूर्व यह चिर अभिलषित आकांक्षा पूर्ण हो जायेगी। __ शास्त्रों का प्रकाशन भी विगत वर्षों में तेजी से हुआ है। प्राचीन अनुपलब्ध शास्त्रों की शोध-खोज, अनुसंधान, अप्रकाशित साहित्य का प्रकाशन, नवीन साहित्य निर्माण आदि कार्य विपुल मात्रा में हुए हैं । तदर्थ अगली योजनायें भी बन रही हैं।