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8. प्रश्न: क्या प्रतिसमय आयुकर्म का बंध होता है? उत्तर : नहीं, आयु कर्म का बंध प्रतिसमय नहीं होता। आयु कर्म के बंध से संबंधित चर्चा विस्तारपूर्वक आगे दी गई है; वहाँ से जानना । • समयप्रबद्ध का सबसे कम भाग आयु कर्मरूप परिणमन करता है। आयु से अधिक भाग दो भागों में समान रूप से विभाजित होकर नामकर्म और गोत्रकर्मरूप परिणमन करता है ।
नाम, गोत्र कर्मों के भाग से अधिक भाग तीन भागों में बराबरबराबर विभाजित होकर ज्ञानावरण, दर्शनावरण और अन्तराय कर्मरूप परिणमन करता है।
दशकरण चर्चा
इन तीनों कर्मों को मिलने वाले भाग से भी अधिक भाग मोहनीय कर्मरूप परिणमन करता है।
मोहनीय से भी अधिक भाग वेदनीय कर्म को मिलता है।
आउगभागो थोवो णामागोदे समो तदो अहियो । घादितियेवि य तत्तो मोहे तत्तो तदो तदिये ।।१९२ ।। अर्थ - सर्व मूलप्रकृतियों में आयुकर्म का भाग अर्थात् हिस्सा सबसे थोड़ा है। नामकर्म और गोत्रकर्म दोनों का भाग परस्पर समान है; तथापि आयुकर्म के भाग से अधिक है। अंतराय, ज्ञानावरण, दर्शनावरण इन तीनों का भाग परस्पर समान है; तथापि नाम, गोत्र के भाग से अधिक है। इससे मोहनीय का भाग अधिक है। इससे तीसरा कर्मवेदनीय, उसका भाग अधिक है ।
यदि एक समय में किसी जीव को आठों कर्मों का प्रदेशबंध होता है तो उस समय समयबद्ध कर्म परमाणुओं का कैसा विभाजन होता है, उसका नीचे चार्ट के द्वारा ज्ञान कराया है।
इस चार्ट का खुलासा इसप्रकार है -
१. गोम्मटसार कर्मकाण्ड गाथा १९२
आगम-आधारित प्रश्नोत्तर (बंधकरण) अ. १
marak [3] D[Kailash Data Ananji Adhyatmik Duskaran Book
(16)
एक भाग
कुल
समान भाग २८८०
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वेदनीय कर्म मोहनीय ज्ञानावरण दर्शनावरण अन्तराया नामकर्म गोत्रकर्म आयुकर्म
२८८० २८८० २८८० +५७६० + १४४० +१२० +१२० ८६४० ४३२० ३००० ३०००
२८८० २८८० २८८० २८८० +१२० +४५ + ४५ + ३०
३००० २९२५ २९२५ २९१०
स्थूलरूप से दृष्टान्त के द्वारा एक समय में आठों कर्मों के विभाजन (अधिक से हीन की ओर) का आगे ज्ञान कराने का प्रयास किया है -
समयप्रबद्ध का प्रमाण ३०७२० कर्मपरमाणु माना गया है। आवली का प्रमाण (४) माना है । ३०७२० समयप्रबद्ध द्रव्य को आवली प्रमाण ४ से भाग दिया तो ७६८० एक भाग मूल द्रव्य आ गया । ३०७२० प्रमाण समय प्रबद्ध में से ७६८० मूल द्रव्य को कम किया तो २३०४० यह बहुभाग द्रव्य आता है। इस २३०४० प्रमाण द्रव्य को आठों कर्मों में विभाजित करते हैं । २३०४० को ८ का भाग देने से = २८८० परमाणु ज्ञानावरणादि प्रत्येक कर्मों को प्राप्त होते हैं।
७६८० यह एक भाग द्रव्य आया था। उसे ४ से विभाजित किया। ७६८० भाग ४ = १९२० एक भाग आया। मूलद्रव्य ७६८० में से एक भाग १९२० कम किया तो ५७६० बहुभाग आया, उसे वेदनीय को दिया । १९२० को चार में विभाजित किया । १९२० भाग ४ = ४८० | ४८० को कम किया । १९२०-४८० = १४४० जो बहुभाग आया, उसे मोहनीय को दिया। १९२० के ४ समान भाग किये। १९२० भाग ४ = ४८० । ४८० के चार समान भाग किये। ४८० भाग ४ = १२० एक भाग । ४८०-१२० कम किये = ३६० बहुभाग आया । ज्ञानावरण, दर्शनावरण, अंतराय प्रत्येक को ३६० भाग ३ = १२० प्रत्येक को दिया । शेष १२० भाग ४ = ३० समान भाग किये। उस ३० को १२० में से कम किए तो ९० आया । ९० को २ से