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दशकरण चर्चा शुभाशुभ भावों के अनुसार ही कषायों की तीव्र-मंद प्रवृत्ति होती है।
जब आत्मा शुभलेश्यादि शुभभावोंरूप परिणमता है, तब कषाय मंदरूप होकर प्रवर्तती है; तब सातावेदनीय आदि पुण्य प्रकृतियों का स्थिति-अनुभाग बंध बहुत होता है तथा ज्ञानावरणादि चार घातिया कर्म की और असातावेदनीय आदि अघातिया कर्म की पापप्रकृतियों का स्थिति-अनुभाग बंध अल्प होता है।
जब आत्मा अशुभलेश्यादि अशुभभावोंरूप परिणमता है और वहाँ तीव्र कषाय रूप प्रवर्तता है; तब ज्ञानावरणादि चार घातिया की और असातावेदनीय आदि अघातिया की पाप प्रकृतियों का स्थिति-अनुभाग बंध बहुत होता है और सातावेदनीय आदि पुण्य प्रकृतियों का स्थितिअनुभाग बंध अल्प होता है। __ जैसा-जैसा उत्कृष्ट, मध्यम, जघन्य अनुभाग को लिये हुए शुभाशुभ भावोंरूप आत्मा परिणमता है, उसी के अनुसार उत्कृष्ट, मध्यम, जघन्य स्थिति-अनुभाग को लिये हुए शुभाशुभ कर्मबंध होता है।
जब आत्मा निःकषाय भावरूप होता है, तब स्थितिबंध-अनुभागबंध का अभाव हो जाता है।
जब आत्मा योग रहित होकर प्रवर्तता है, तब प्रदेशबंध-प्रकृतिबंध का भी अभाव हो जाता है।
आत्मा के जिन-जिन भावों का निमित्त पाकर, जिस-जिस कर्म का बंध होता है, वहाँ उन-उन भावों का अभाव होने से उस-उस कर्म के बंध का भी अभाव हो जाता है।
इसलिए कर्मबंध के कारण आत्मा के भाव ही जानना।"
आगम-आधारित प्रश्नोत्तर 1. प्रश्न :- बन्ध किसे कहते हैं?
उत्तर :- आत्मा के साथ नवीन कर्म पुद्गलों के बंधने को बन्ध
कहते हैं। 2. प्रश्न :- बन्ध के कितने भेद हैं?
उत्तर :- बन्ध के चार भेद होते हैं - प्रकृतिबन्ध, प्रदेशबन्ध,
स्थितिबन्ध, अनुभाग बन्ध। 3. प्रश्न :- प्रकृतिबन्ध किसे कहते हैं?
उत्तर :- कर्मरूप होने योग्य पुद्गलों का ज्ञानावरण आदि मूल प्रकृतिरूप और उनके (भेद) उत्तर प्रकृतिरूप परिणमन होने का
नाम प्रकृतिबन्ध है। 4. प्रश्न :- प्रदेशबन्ध किसे कहते हैं?
उत्तर :- प्रति समय एक जीव के साथ जितने पुद्गल परमाणु
कर्मरूप परिणमन करते हैं, उनके प्रमाण को प्रदेशबन्ध कहते हैं। 5. प्रश्न :- एक समय में एक जीव के कितने कर्मपरमाणु बँधते हैं?
उत्तर :- प्रति समय एक जीव के एक समयप्रबद्ध प्रमाण कर्म
परमाणुओं का बन्ध होता है। 6. प्रश्न :- समयप्रबद्ध किसे कहते हैं?
उत्तर :- एक समय में जितने कर्म-परमाणु जीव के प्रदेशों के साथ
एकक्षेत्रावगाहरूप से बंधते हैं; उसे समयप्रबद्ध कहते हैं। 7. प्रश्न :- समयप्रबद्ध के विभाग का क्या अनुपात है?
उत्तर :- एक समय में ग्रहण किये गये पुद्गल परमाणु यथायोग्य मूलप्रकृति और उत्तरप्रकृतिरूप परिणमन करते हैं; वही कहते हैं -
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