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________________ अभिमत ] १०१ पुण्योदय से प्राप्त संयोगों के उपभोग में ज्ञानी और अज्ञानी में क्या अन्तर होता है ? – इसका मूर्त रूप 'अभागा भरत' और 'उच्छिष्ट भोजी' कहानियाँ हैं । इसीप्रकार परमसत्य की प्राप्ति होने पर विषम परिस्थितियों में पुरुषार्थ की उग्रता का स्वरूप परिवर्तन' कहानी में स्पष्ट हुआ है। ___ मेरी कामना है कि डॉ. भारिल्ल की सर्वतोमुखी प्रतिभा दिनों-दिन वृद्धिंगत होकर समाज को निरन्तर नया मार्गदर्शन करती रहे। * पण्डित श्री धर्मप्रकाशजी जैन शास्त्री; अवागढ़ (एटा, उ.प्र.) ___ 'कथानुयोग भी द्रव्यानुयोग, करणानुयोग एवं चरणानुयोग का पोषक होना चाहिए और होती भी है।' - लेखक के उक्त वक्तव्य से मैं अत्यधिक प्रभावित हुआ हूँ। यह कथन लेखक की वास्तविकता का परिचायक है। इसी सत्य की कसौटी पर प्रस्तुत कहानी संग्रह अत्यन्त खरा उतरा है। इस पुस्तक के पठन-पाठन से सत्यानुभूति की झलक स्वयमेव विकसित होती है । इस कहानी संग्रह का अधिक से अधिक प्रचार व प्रसार होना चाहिए। इसप्रकार के उत्तम प्रयास के लिए लेखक धन्यवाद के पात्र * पं. ज्ञानचन्दजी 'स्वतन्त्र' शास्त्री, न्यायतीर्थ; गंजबासौदा (म.प्र.) ___ डॉ. भारिल्ल की कृतियाँ अभूतपूर्व और बेजोड़ होती हैं। उनकी लोकप्रियता और विद्वता जगजाहिर है। जो विद्वान उनके साथ उठा-पटक करते हैं, वे भी उनकी कृतियों की प्रशंसा करते देखे गये हैं। *ब. विद्युल्लता शहा; एम.ए.,बी.एड., प्रा. श्राविका प्रशाला, सोलापुर ___ पठनीय, अध्ययनीय एवं मननीय अनूठी कृति 'आप कुछ भी कहो' आवाल-वृद्धों के लिए अनुपम एवं मौलिक निधि है। स्वस्थ अभिरुचि, उन्नत विचारों के पोषण के लिए यह किताब सुन्दर है, सर्वोत्कृष्ट है। छोटी-छोटी कहानियों की गागर में सूक्तियों का सागर भर दिया गया है। इसकी एक-एक सूक्ति हृदय-पटल पर जमकर जीवन को समृद्ध बनाने में समर्थ है।
SR No.009439
Book TitleAap Kuch Bhi Kaho
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2005
Total Pages112
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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