________________
'
Is ऽ।ऽ ऽ । ऽ ।। || is ISI नहीं साक्ष्य है अग्नि का, सब कुछ अभी अनाम। || 5 || 5 ।।। ऽ ऽ ऽ।।। । । मन में मन का मिलन ही, है वास्तविक विवाह। (13+11=24) ऽऽ।। ।। ।। ।ऽ ऽ।। ।। || सामाजिक अब बन रहा, जीवन एक प्रवाह।।
ऋ.पृ. 50
सोरठा :
यह दोहे का उल्टा होता है, इसके विषम चरणों में 11-11 एवं सम चरणों में 13-13 मात्राओं के योग से 24-24 मात्राएँ होती है। इसका प्राचीन नाम सोरठिया दोहा था। इसे सौराष्ट्र वाले पसंद करते थे। इसी से यह सोरठा कहा गया है
।।।। ।।।। ।। ।।।। ऽऽ ऽ ।ऽ प्रतिपल गतिमय काल, अगतिक कोई भी नहीं। (11+13-24) जलनिधि की उत्ताल, लहर निदर्शन बन रही।
ऋ.पृ.-22. 151 SS SI IL SIS III S यद्यपि लंबी आयु, अवधि अंततः अवधि है। रूद्ध प्राणामय वायु, कोशा-प्रजनन का स्थगन।
ऋ.पू.-22. IS ISIT SI SIISSS is सदा निरामय देह, आमय जन्मा ही नहीं
(11+13-24) दुर्जन मन में स्नेह, दुर्लभ जैसे जगत में।
ऋ.पू.-22. ऽऽ।। ।। ।। 5 ।। ऽ ऽऽ ।।। उद्घाटित नव द्वार, पंजर में बैठा विहग। अद्भुत रस साकार, विस्मय नहीं प्रयाण में।
ऋ.पृ.-23.
गीतिका :
गीतिका के प्रत्येक चरण में 14, 12 मात्राओं के विश्राम से 26 मात्राएँ होती हैं, अंत में लघुगुरू होते हैं। इसका मुख्य नियम यह है कि प्रत्येक चरण
71]