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________________ और भी - भूमी शैय्या, वही बिछौना, नींद कहां से आएगी! रात्रि जागरण करता होगा, स्मृति विस्मृति बन जाएगी। ऋ.पृ.-149. इस प्रकार ऋषभायण महाकाव्य में उक्त रसों की योजना प्रसंग वशात की गयी है। किंतु शांत रस, वीर रस एवं वात्सल्य रस का प्रसार अन्य रसों की तुलना में अधिक है। > अलंकार अलंकार शब्द का अर्थ है 'आभूषण'। जिस प्रकार किसी व्यक्ति को आभूषणों से सुसज्जित कर देने पर उसकी सुंदरता बढ़ जाती है, उसी प्रकार अलंकारों से विभूषित काव्य भी अधिक सुंदर ज्ञात होने लगता है। काव्यादर्श में आचार्य दंडी ने अलंकार को पारिभाषित करते हुए लिखा है कि 'काव्यशोभाकरात् धर्मान् अलंकारान् प्रचक्षते (68) अर्थात् काव्य के शोभाकर धर्म को अलंकार कहते हैं। अलंकार वस्तुतः बोलने अथवा लिखने की एक शैली है। किसी बात को श्रोता या पाठक के मन मे भलीभाँति बैठा देने के लिए बोलचाल में यह आवश्यकता होती है कि बात कुछ बनाकर कही जाय। इस प्रकार बात को सजाने में जो चमत्कार आ जाता है, उसे साहित्य ग्रंथो में अलंकार के नाम से पुकारते हैं। अलंकारों की उपयोगिता के संबंध में सुमित्रानन्दन पंत ने लिखा है कि 'अलंकार केवल वाणी की सजावट के लिए ही नहीं है, वरन् भाव की अभिव्यक्ति के भी विशेष द्वार हैं, भाषा की पुष्टि के लिए, राग की पूर्णता के लिए, आवश्यक उपादान है। वे वाणी के आचार, व्यवहार रीति-नीति हैं। पृथक स्थितियों के पृथक-पृथक स्वरूप भिन्न-भिन्न अवस्थाओं के भिन्न-भिन्न चित्र हैं।१७) काव्य में अलंकारों का सहज प्रयोग उसकी भाव प्रवणता में बाँकपन लाता है। इसलिए कवि का प्रथम दायित्व होता है कि वह अलंकारों के बलात् प्रयोग से कविता को मुक्त रखे। इस संदर्भ में लोंजाइनस का कथन यहाँ तक है कि काव्य में अलंकारों का प्रयोग इस रूप में हो कि श्रोता या पाठक को उसके
SR No.009387
Book TitleRushabhayan me Bimb Yojna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSunilanand Nahar
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2010
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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