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________________ सूक्ष्म तत्व है इसीलिए वह कहीं गम्य है कहीं अगम्य किंतु चेतना सर्वविदित है सहज रम्य प्रति व्यक्ति प्रणम्य। ऋ.पृ.-158. हृदय में जब समता स्थापित हो जाती है तब राज्य, वैभव, मान, प्रतिष्ठा सब झूठे प्रतीत होने लगते हैं। दृढ़ निश्चय आत्मानन्द में प्रवेश करने की पहली सीढ़ी है : निर्विकल्प हम भगवन! केवल आत्म-साधना एक विकल्प आत्मा की गरिमा के सम्मुख राज्य हमें लगता है अल्प आत्मा का साक्षात् करेंगे दृढ़-निश्चय है, दृढ संकल्प पूर्ण समर्पण ही होता है कल्पवृक्ष चिंतामणि कल्प। ऋ.पृ.-202 वीर रस : उत्साह स्थायी भाव से वीर रस की व्युत्पत्ति होती है। ओज इसका प्रधान गुण है। महाकाव्य में जहाँ-जहाँ युद्ध का वर्णन किया गया है। वहाँ-वहाँ आसानी से उत्साह भाव को देखा जा सकता है। शांत रस के बाद महाकाव्य में वीर रस को अधिक महत्व दिया गया है, जैसे-गिरिजनों से युद्ध, भरत बाहुबली युद्ध प्रकरण में ओजगुण की जीवंत झांकी देखी जा सकती है। बाहुबली जब अपने पौरूष बल पर युद्ध में भरत को 'कन्दुक' के समान आकाश में उछाल देते हैं तब वहाँ उपस्थित सभी जनों में हाहाकार सा मच जाता है। जैसे : क्रीड़ा कंदुकवत चक्रीश्वर, महाशून्य में हुआ विलीन। हाहाकार किया धरती ने, बहलीश्वर का विक्रम पीन। ऋ.पृ.-279 भरत के शीश पर बाहुबली द्वारा लोहदण्ड के प्रहार से धरती पर 'गर्त' [401
SR No.009387
Book TitleRushabhayan me Bimb Yojna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSunilanand Nahar
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2010
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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