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________________ मुरझाया सुम नहीं खिलेगा, तात् मृत्यु का अर्थ यही, . या उन्मेष-निमेष-चक्र है? क्या यह धारा सदा बही। ऋ.पृ.-41. एक पुष्प खिलनेको आतुर, बिना खिले ही चला गया, पिता! कहां अब मेरा भाई? मुझे छोड़ क्यों चला गया? ऋ.पृ.-41. मेरा भाई कहाँ है ? वह मुझे छोड़ क्यों चला गया? यह प्रश्न संबंधों की प्रियता का प्रश्न है। यद्यपि सुनन्दा मृत्यु का आशय समझती है कि 'जो फूल मुरझा गया वह दुबारा नहीं खिलेगा' फिर भी वह 'तात् मृत्यु का अर्थ यही' कथन पर बल दे मृत्यु के रहस्य से पूर्णतः अवगत हो जाना चाहती है। यहाँ कवि की दार्शनिकता व्यक्त हुई है। पिता द्वारा जन्म-मृत्यु के रहस्य का उद्घाटन अभूतपूर्व है : लहर सिन्धु में उठती-मिटती, फिर उठती फिर मिट जाती। जन्म मृत्यु की यही कहानी, जलती-बुझती है बाती। ऋ.पृ.-42. संवादों में जहाँ जहाँ भी वैचारिक तथ्य का उद्घाटन हुआ है वहाँ-वहाँ पात्रों के वार्तालाप के बीच कवि की सहज उपस्थिति देखी जा सकती है। दुःख और सुख सिक्के के दो पहलू हैं। दुखात्मक अनुभूति से सुख का मार्ग प्रशस्त होता है। लहरों की उत्पत्ति जन्म और लहरों का विनाश मृत्यु है। यह प्रकृति की नैमित्तिक क्रिया है। जन्म सुखात्मक है और मृत्यु दुखात्मक। जीवन में दोनों का क्रम अनिवार्य है-यही परिवर्तन है और यही जीवन की क्षणभंगुरता। अशरण को शरण देना भारतीय संस्कृति की विशेषता है, किंतु एक नारी द्वारा अन्य नारी को अपने पति से विवाह की अनुमति देना अनूठा है। अनाथ सुनन्दा की दुर्वह अवस्था को देखकर युगलगण उसे ऋषभ की पत्नी के रूप में नाभि से स्वीकृति चाहते हैं। यहाँ युगलगण, नाभि और सुमंगला के वार्तालाप में सामाजिकता दायित्व निर्वाह एवं कल्याण की भावना दिखाई देती है युगलगण-अनुनय-विनय हमारा प्रभुवर! बाला आज शरण्य बने, पारसमणि का स्पर्श प्राप्त कर, मिट्टी पुण्य हिरण्य बने। बने ऋषभ की प्रवरा पत्नी, एक नया आयाम खुले। ऋ.पृ.-44. 1321
SR No.009387
Book TitleRushabhayan me Bimb Yojna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSunilanand Nahar
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2010
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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