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________________ करना 56, शिरोधार्य करना 86, धैर्य खोना 103, शीश झुकाना 166, पैर नहीं टिक पाना 173, छटा दिखाना 175, पाखंड रचना 176, केशरिया बाना 181, सोलह आना 181, नभ को साधना 183, गागर में सागर 184, पथराई आँखें 186, इठलाना 201, धर्म संकट 227, सिर पर हाथ होना 244, साहस बटोरना 247, पलायन करना 255, हाहाकार करना 279, सुख की सांस लेना 287, कोलाहल होना 287 आदि मुहावरों का भी बिम्बात्मक प्रयोग किया है । लोकोक्तियों के आधार पर भी कवि ने बिम्ब सृजन किया है, जिसकी संख्या मुहावरों की तुलना में अल्प है, सत्ता अथवा प्रभुता को प्राप्त कर लेने पर ऐसा कौन व्यक्ति है जिसे अहंकार नहीं होता ? इस अर्थ की बिम्बात्मक अभिव्यक्ति के लिए गोस्वामी तुलसीदास ने 'प्रभुता पाइ काहि मद नाही' लोकोक्ति का प्रयोग किया है, जिसकी अनुवर्तिका पर आचार्य महाप्रज्ञ 'सत्ता के मद से कौन नहीं टकराया' कथन नियोजित करते हैं। नमि विनमि भी राज्य प्राप्ति सम्बन्धी अधिकार भावना को समझकर विद्याधरधरण भरत के अहंकार को लक्षित कर इस लोकोक्ति को चरितार्थ करता है साधर्मिकता का मूल्य समझ में आया सत्ता के मद से कौन नहीं टकराया ? ऋ. पृ. 123 मात्स्य न्याय का सिद्धांत है 'बड़ी मछली छोटी मछली को निगल जाती है ।' व्यावहारिक जीवन में सबल द्वारा निर्बल पर एकाधिकार की भावना का आरेखन इस लोकोक्ति द्वारा किया जाता है । भरत के व्यवहार से पीड़ित अट्ठानवे पुत्रों को संबोध देते हुए ऋषभ स्वार्थमयी कुत्सा से परिपूर्ण शक्तिशाली व्यक्ति की मनःस्थिति का उद्घाटन करते हुए भरत को लक्षित करते हैं जिसमें भरत को 'बड़ा मत्स्य' तथा अन्य निर्बल नरेशों को 'छोटी मछली' से बिम्बित किया गया है। 'बड़ी मछली छोटी मछली से प्यार नहीं करती' उसे समूचा निगल जाती है दुर्बल पर बलवान शक्ति से, कर लेता अपना अधिकार । बड़ा मत्स्य छोटी मछली से, कब करता है मन से प्यार ? ऋ. पू. 201 'मझधार में सम्बन्धों की नाव होना' लोकोक्ति का बिम्ब सम्बन्धों के 319
SR No.009387
Book TitleRushabhayan me Bimb Yojna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSunilanand Nahar
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2010
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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