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________________ क्रोधिभव्यक्ति का वाहक है । चक्रवर्ती की सेना के समक्ष अपनी सेना का पलायन देखकर बाहुबली की 'भृकुटि तन गई' और उनकी 'आँखों में खून उतर आया' (चक्षु में उतरा अरूण वर्ण) हुआ पलायन पवन वेग से, बहलीश्वर ने देखा सर्व तना भृकुटि का देश चक्षु में, उतरा अरूण वर्ण का पर्व । ऋ. पृ. 254 सीमित दायरा अथवा सीमित चिंतन के लिए 'कूपमंडूक' मुहावरे का प्रयोग चाक्षुष बिम्ब का अच्छा उदाहरण है। अभी तक यह मान्यता थी कि बाहुबली की सेना को शौर्य का वरदान प्राप्त है किन्तु सेनापति सुषेण के भीषण आक्रमण से जब बाहुबली की सेना पलायन करने लगी तब उसे बाहुबली की सेना के शौर्य के सम्बन्ध में आम धारणा 'कूपमंडूक के समान' प्रतीत होने लगी बहलीश्वर की सेना को ही प्राप्त पराक्रम का वरदान मान रखा था वह चिंतन तो हुआ कूप मंडूक समान । ऋ. पृ. 255 'कांटों का ताज पहनना' मुहावरा स्वेच्छा से कठिनाइयों को स्वीकारने का बिम्ब निर्मित करता है । द्वन्द्व युद्ध में बाहुबली के मुष्टि प्रहार की मूर्च्छा से जागृत भरत को लक्ष्य कर बाहुबली कहते हैं कि दण्ड युद्ध में विजयी ही 'कांटे का ताज पहन' सिंहासनारूढ़ होगा । यहाँ 'कांटों का ताज' प्रशासन संबंधी कठिनाइयों का भी व्यंजक है खेल दंड का अभी शेष है, आओ खेलें दोनों आज वह बैठेगा सिंहासन पर, पहनेगा कांटों का ताज । ऋ. पृ. 282 'ताज पहनना' अर्थात् राजा बनना, सर्वोच्च पद को प्राप्त करना । दण्ड युद्ध में भरत के पराजित होने के पश्चात् चारों ओर से यह आवाज आने लगी कि ताज पहनने का सुअवसर बाहुबली को ही मिलेगा - मग्न भूमि में भरत कंठ तक, संभ्रम विभ्रम की आवाज लुप्त हो रहा है भरतेश्वर, बहलीश्वर पहनेगा ताज । ऋ. पृ. 283 इन मुहावरों के अतिरिक्त आचार्य महाप्रज्ञ ने भाग्योदय होना 46, कृतार्थ 318
SR No.009387
Book TitleRushabhayan me Bimb Yojna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSunilanand Nahar
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2010
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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