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पानी बरसाना, दो नावों पर सवार होना, हस्तामलकवत् देखना (प्रत्यक्ष प्रमाण) ... ........ इन सभी में हैं। चित्र धर्म । 2 चित्रधर्म के कारण ही ये बिम्ब निर्माण के सशक्त माध्यम माने गए हैं।
आचार्य महाप्रज्ञ ने भी बहुसंख्यक मुहावरों व लोकोक्तियों का बिम्बात्मक प्रयोग किया है। प्रथम कुलकर विमल वाहन ने युगल समाज को व्यवस्थित करने के लिए दण्डनीति का निर्धारण किया, जिसे सभी युगलों ने सम्मानपूर्वक स्वीकार कर शिरोधार्य किया। युगलों द्वारा आदर पूर्वक स्वीकृत उक्त विधान को 'शीश चढ़ाना' मुहावरा से बिम्बित किया गया है -
कुलकर की कृति को सबने शीष चढ़ाया अधिकार - भावना इन्द्रजाल की माया।
ऋ.पृ. 21
आलस्य दूर करने एवं 'चैतन्य लाभ' के लिए 'अंगड़ाई लेना' तथा 'आनंद' भाव की अभिव्यक्ति के लिए 'रोमांचित होना' मुहावरे का बिम्बात्मक प्रयोग एक साथ किया गया है जिसमें कवि की मुहावरे दानी देखते ही बनती है। दिव्य स्वप्नों से रोमांचित गर्भवती सुमंगला स्वप्न संदेश देने के लिए जब ऋषभ के समक्ष उपस्थित होती हैं, तब उनकी निद्रा टूट चुकी थी और वे जागृति की 'अंगड़ाई ले रहे थे -
रोमांचित पुलकित सुमंगला तब आयी जब ऋषभ ले रहे, जागृति की अंगड़ाई ।
ऋ.पृ. 51
'रोमांचित होना' मुहावरे का बिम्ब सम्मत उपयोग अन्य स्थलों पर भी किया गया है। भिक्षा लाभ के लिए चक्रमण कर रहे ऋषभ का आगमन जब हस्तिनापुर में होता है, तब पितामह का दर्शन करने के लिए पौत्र श्रेयांस का हृदय पुलकित एवं शरीर रोमांचित हो उठता है -
ओ ! पितामह का पदार्पण देह रोमांचित हुआ सकल अन्तःकरण पुलकित, वचन गर्वाकित हुआ।
कप
ऋ.पृ. 128
'मृत्यु' के लिए 'दीपक बुझ जाना' मुहावरे का भी बिम्बात्मक प्रयोग किया गया है। नर शिशु की अकाल मृत्यु पर शिशु कन्या के जीवन में सहसा अंधेरा ही
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