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________________ । इस संदर्भ में अट्ठानबे पुत्रों तथा ब्राह्मी, सुंदरी की कामना का बिम्ब भी अभिधा पर ही आधारित है - याद करेंगे प्रभु को हम सब, कभी-कभी कर लेना याद आते-जाते पल भर रूककर, कर लेना हमसे संवाद ऋ.पृ. 105 स्वामी ! फिर तुम कब आओगे ? दे दो थोड़ा सा संकेत इंगित को आधार बनाकर, हम भी प्रतिपल रहें सचेत। ऋ.पृ. 106 भूख प्यास से पीड़ित मुनिगणों की ऋषभ के प्रति निराशा जन्य स्थिति तथा ऋषभ की समाधिस्थ स्थिति के लिए भी अभिधामूलक बिम्ब को माध्यम बनाया गया है - पहले, शिक्षा देते, पथ बतलाते अनिमेष दृष्टि से, वत्सलता बरसाते। अब मौन, नयन है, अर्धनिमीलित भाई ! क्या पूछे ? किससे पूछे ? यह कठिनाई हम चले सभी तन-मन, की स्थिति बतलाएँ संभव संवेदन की, गांठें खुल जायें हां, साधु-साधु कह, सबने चरण बढ़ाए प्रभु के सम्मुख आ, हार्दिक भाव सुनाए ऋ.पृ. 111 चरण चलने को चपल है, जीभ खाने के लिए मन चपल है सोचने के देव ! अविचल किसलिए ? देव ! हम सब अति बुभुक्षित, कंठ में अति प्यास है आँख खोलें और बोलें, बोलता विश्वास है। ऋ.पृ. 112 आहार के लिए चक्रमण कर रहे ऋषभ के मनोभावों को न समझ स्वागत को आतुर अध्वदर्शी जनता अमूल्य वस्तुओं का समर्पण कर उनके प्रति अपने सम्मान भाव को व्यक्त करना चाहती है - थाल मुक्ता से भरा, उपहार कोई ला रहा भक्तिभावित भाव कोई, स्तवन-मंगल गा रहा 13001
SR No.009387
Book TitleRushabhayan me Bimb Yojna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSunilanand Nahar
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2010
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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