SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 284
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सृष्टि में मोह संपूर्ण प्रपंच का कारण है। मोह व्यक्ति को माया में लीन करता है, जिससे व्यक्ति सहजता से उबर नहीं पाता। यहाँ मोह को संपूर्ण मनोविकारों के सेनानायक के रूप में बिम्बित किया गया है। श्रेणी आरोहण की प्रक्रिया से ही मोह भाव का शमन हो सकता है - सेनानायक मोह कराल, सारा उसका मायाजाल। शेष हो गया अंतर्द्वन्द्व, अंतर्जगत् हुआ निर्द्वन्द्व || ऋ.पृ. 144 - मोह के लिए 'मधु' आस्वाद्य बिम्ब का प्रयोग किया गया है। भरत द्वारा भेजा गया दूत बाहुबली से कहता है कि परिवार नृपति की तेजस्विता का आवरण है। स्वजनों के प्रति मोह भाव का होना स्वाभाविक है। इसीलिए सुत स्वजनों के मोह रूपी मधु के प्रभाव से उनके तलवार की तीक्ष्ण धार भी कुंठित हो गयी है। नृपति की तेजस्विता का, आवरण परिवार है। सुत स्वजन का मोह मधु से, लिप्त असि की धार है।। ऋ.पृ. 239 इस प्रकार आचार्य महाप्रज्ञ ने प्रसंगानुकूल मोह भाव का बिम्बाकंन किया --00-- 2861
SR No.009387
Book TitleRushabhayan me Bimb Yojna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSunilanand Nahar
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2010
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy