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________________ विनीता नगरी को 'समरांगण की गीता' तथा भरत के हृदय को 'मादक रस से भृत प्याली' से बिम्बायित किया गया है। विजयोपरांत नमि-विनमि से असीमित उपहार तथा गंगा तट पर नवनिधियों का वरदान प्राप्त कर भरत अपनी उस विनीता नगरी की ओर प्रस्थान करते हैं, जो समरांगण की गीता बनी हुई है। उनके जिस हृदय रूपी प्याली में भाइयों के प्रति ममता का रस होना चाहिए था अब वह मादक अहंकार के रस से परिपूर्ण हैं - अब लक्ष्य बनी है नगरी विमल विनीता। जो बनी हई है समरांगण की गीता। अपने मन की होती है कथा निराली। मादक रस से मृत है ममता की प्याली। ऋ.पृ.185 'जाति' 'कुल' और 'शक्ति' की श्रेष्ठता के बिम्ब से भी भरत के हृदय में व्याप्त मद भाव को रेखंकित किया गया है जाति और कुल, बल के मद से, व्यथित निरंतर मनुष समाज, बाहर से संघर्ष प्रस्फुटित , भीतर मे है मद का राज। ऋ.पृ.215 काम, क्रोध, लोभ, मद, अहंकार मानव के शत्रु हैं। या यों कहें ये मानसिक रोग हैं। 'अहंकार' को उस असाध्य रोग के बिम्ब से प्रस्तुत किया गया है, जिसकी विश्व में कहीं भी चिकित्सा उपलब्ध नहीं हैं। अनिलवेग भरत के सेनापति से कहता है युध्द-विजय से उपजा है यह, अहंकार का रोग असाध्य । नही विश्व में कहीं चिकित्सा, मम विद्या-बल से वह साध्य .ऋ.पृ.256 अहं अथवा मद भाव के लिए 'गज' का भी बिम्ब प्रयुक्त किया गया हैं। सिध्दि प्राप्ति में यह भाव सबसे बड़ा अवरोधक है। बाहुबली भी इस अहं भाव के कारण प्रभु का दर्शन नहीं कर पा रहे हैं। इस संसार सागर का संतरण तो करूणा, समता रूपी नौका से ही किया जा सकता है बंधो ! उतरो, गज से उतरो, अब भूमि का मिट्टी का अनुभव होगा तब । 261]
SR No.009387
Book TitleRushabhayan me Bimb Yojna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSunilanand Nahar
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2010
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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