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________________ क्रोध - ऋषभायण में क्रोध भाव के व्यंजक अनेक बिम्ब हैं। घटनाओं एवं उपमानों से कवि ने क्रोध की सफल व्यंजना की है। भृकुटि का तनना, आँखों में खून उतर आना आदि अनुभावों के वर्णन से क्रोध के बिम्ब बनते हैं। भरत की सेना के आक्रमण से पवन वेग के समान अपनी सेना का पलायन देखकर क्रोध से बाहुबली की भृकुटि तन जाती है, और उनकी आँखों में खून उतर आता है - हुआ पलायन पवनवेग से, बहलीश्वर ने देखा सर्व। तना भृकुटि का देश चक्षु में उतरा अरूण वर्ण का पर्व।। ऋ.पृ. 254 प्रज्ज्वलित अग्नि की दाहकता के बिम्ब से भी क्रोध की ज्वलनशीलता का वर्णन किया गया है। अनिलवेग के भीषण प्रहार से पलायन करती हुयी अपनी सेना को देखकर भरत क्रोधग्नि में चलते हुए दिव्य अस्त्रों का प्रक्षेप करते हैं, जिससे देवेन्द्र भी अचंभित हो जाते हैं - कोपानल से ज्वलित भरत ने, फेंका दिव्य शक्तिमय चक्र । अंतरिक्ष की ज्वालाओं से विस्मित चकित हुआ सुर शक्र || ऋ.पृ. 261 बादलों के मध्य कौंधती हुई बिजली के बिम्ब से क्रोध को दृश्यता प्रदान की गयी है। बचपन में भरत के आघात के बदले में बाहुबली जब उन पर प्रतिघात करने के लिए मुड़ते हैं तब स्वेद बिन्दुओं से स्नात उनकी क्रोधमयी मुद्रा ऐसी लगती है जैसे आकाश में बादलों के मध्य बिजली कौंध गयी हो - कर पृष्ठभाग में मुष्टि-घात में दौड़ा, प्रतिघात हेतु जब भाई ने मुख मोड़ा। तब कौंध गई नभ में कोपाम्बुद बिजली, ऊर्जा की बूंदे बिखरी उजली-उजली। ऋ.पृ. 246 भरत के दिव्यास्त्र से अनिलवेग को मृत देखकर क्रोध से जलते हुए रत्नारि ने पवन वेग के समान भरत की सेना पर ऐसा आक्रमण किया जैसे आज ही युद्ध का समापन हो जाएगा - 12551
SR No.009387
Book TitleRushabhayan me Bimb Yojna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSunilanand Nahar
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2010
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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