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मतवाले हाथी के बिम्ब से अनिलवेग के शौर्य को प्रदर्शित किया गया है। युद्ध में अनिल वेग भरत के सेनानी के धनुष को वैसे ही तोड़ देता है, जैसे मद मस्त हाथी बाँस के समूह को क्षण में नष्ट कर देता है -
अनिलवेग ने सेनापति के, किया धनुष का पल में ध्वंश। मद से मत्त मतंगज से ज्यों, उन्मूलित हो जाता वंश।।
ऋ.पृ. 258
प्रलंयकारी पवन एवं ज्वार के बिम्ब से अनिल वेग का शौर्य वर्णन सराहनीय है। अनिल वेग, भरत की सेना में विध्वंस के उद्देश्य से प्रलंयकारी पवन की भाँति इस प्रकार प्रवेश करते हैं जैसे सागर में ज्वार आ गया हो -
अवसर देखा अनिल वेग ने, प्रलय पवन का ले आकार। चक्री की सेना में उतरा, आया अंभोनिधि में ज्वार।। ऋ.पृ. 260
अनिलवेग के शौर्य को विखंडित करने के लिए भरत उस पर इस प्रकार टूट पड़ते हैं जैसे 'बाज' पक्षी 'कपोत' पर झपट पड़ा हो-यहाँ 'बाजपक्षी' कपोत के बिम्ब से क्रमशः भरत और अनिलवेग के शौर्य का तुलनात्मक रूप प्रस्तुत किया गया हैं -
अनिलवेग की अनुश्रेणी में, झपटा पारापत पर बाज।
ऋ.पृ. 261
भरत के शौर्य को वेगवान 'पवन' के बिम्ब से भी व्यक्त किया गया है।
शक्ति परीक्षण में सैनिकों से जकड़ी हुई साँकल को भरत वैसे ही खींच लेते हैं जैसे तीव्रगामी पवन से आहत पत्ते वृक्षों की डालियोंसे टूटकर पृथ्वी पर गिर जाते हैं -
भरतेश्वर ने खींची सांकल, खिंच आए सैनिक निःशेष। अनिल वेग से आहत तरू का, पत्र छोड़ देते हैं देश।। ऋ.पृ. 273
'केशरिया बाना' से सुसज्जित भरत एवं बाहुबली की सेना को अपनी-अपनी विजय का अदम्य विश्वास है, और यह विश्वास उनमें उत्साह का वर्धन करती है -
जय का निश्चय है सबको सोलह आना। निश्चित होगा सार्थक केशरिया बाना।
ऋ.पृ. 181
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