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उत्साह -
ऋषभायण में उत्साह भाव पर आधारित अनेक बिम्ब निर्मित हुए हैं। उत्साह भाव का बिम्बांकन अधिकांशतः युद्ध के परिप्रेक्ष्य में हुआ है। चीता को देखकर भागते हुए मृग के बिम्ब से भरत की सेना का उत्साह भाव व्यक्त हुआ है। सेनानी के खड्ग रत्न के प्रहार से गिरिजन रणक्षेत्र से वैसे ही पलायन कर जाते हैं, जैसे मृग ने चीता देख लिया हो -
सेनानी ने खड्ग रत्न ले, क्षण में सब को जीता | किया पलायन जैसे मृग ने, देख लिया हो चीता।।
ऋ.पृ. 171
स्वतंत्रता सबको प्रिय होती है। दृढ़ संकल्पी व्यक्ति परिणाम की परवाह किए बिना विजयोल्लास से परिपूर्ण संघर्ष के प्रति आस्थावान हो, अपने शौर्य का प्रदर्शन करता रहता है। स्वतंत्रता को अपना जन्मसिद्ध अधिकार मानते हुए गिरिजन उत्साहपूर्वक अपने संकल्प पर अटल हैं -
जन्म सिद्ध अधिकार स्ववशता, पर वश नहीं बनेंगे।
अचल अटल संकल्प जयश्री की माला पहनेंगे।
नगा
ऋ.पृ. 172
'सूर्य' और 'तम' के बिम्ब से बाहुबली के तेजस व युद्ध की विभीषिका को व्यक्त किया गया है। आक्रान्ता भाई भरत के प्रतिकूल युद्ध के लिए सन्नद्ध दृढ़ प्रतिज्ञय बाहुबली का चिन्तन शौर्य से परिपूर्ण है -
संकल्प हमारा पावनतम दृढ़तम है क्या सूर्य डरेगा यद्यपि गहरा तम है।
ऋ.पृ. 252
तेल के संचार से प्रज्वलित दीपक की 'ज्योति' से बाहुबली की सेना के उत्साह का चित्रण किया गया है। रथारूढ़ सिंह रथ को रणक्षेत्र में आगे बढ़ते हुए देखकर उनकी सेना का मनोबल उसी प्रकार से बढ़ने लगा जैसे टिमटिमाते हुए दीपक में तैल का संचार कर देने पर उसकी ज्योति बढ़ जाती है।
बढ़ा सिंहस्थ का रथ आगे, बढ़ा मनोबल अमिताकार टिम टिम करते ज्योति दीप में, हुआ तैल का नव संचार। ऋ.पृ. 255
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