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________________ में पूछे जाने पर उसके द्वारा कुछ बोल न पाना, स्वर यंत्रों का निष्क्रिय एवं कंठावरोध हो जाना तथा नेत्रों के सतत आँसुओं का झरना प्रवाहित होने लगता उसकी शोक मग्न दशा का अन्यतम उदाहरण है - कायोत्सर्ग किया वाणी ने, निष्क्रिय-सा स्वर यंत्र हुआ। कंठ रूद्ध, आँसू का निर्झर, समाधान का तंत्र हुआ।। ऋ.पृ. 43 यूथ भ्रष्ट 'हरिणी' के बिम्ब से शोक संतप्त सुनन्दा की मनः स्थिति का परिचय भी निम्नपंक्तियों से मिलता है - यूथभ्रष्ट जैसे हरिणी हो, एकल ही वह घूम रही। हुए अगोचर सभी सहारे, आँख शून्य को चूम रही। ऋ.पृ. 42 शोक संतप्त पीड़ा की रेखाएँ मुख मंडल पर सहज ही उभर आती है, जिससे कोई भी उसकी स्थिति का अनुमान लगा सकता है। युगलगण जब सुनन्दा को देखते हैं, तब ऐसा लगता है, जैसे आलम्बन हीन सुनन्दा के मुख मण्डल पर शोक की व्यथा मूर्तित हो गयी हो। युगलों के जीवन में असमय मृत्यु के प्रवेश से जो परिवर्तन आया उसे 'सघन तमोमय चित्रकथा' से भी बिम्बित किया गया है - युगलों ने देखा आलम्बन, शून्य युवति है मूर्त व्यथा। जगत के परिवर्तन की, सघन तमोमय चित्रकथा।। ऋ.प.43 भरत की सेना से पराजित गिरिजनों की स्थिति का करूण दृश्य उस समय देखा जा सकता है, जब वे अश्रुपूरित नेत्रों से सहायतार्थ अपने इष्टदेव 'मेघमुख' की करूण पुकार करते है - नयन अश्रु से आर्द्र गिरा में, सरस करूण रस घोला। स्पंदमान काया का अणु-अण, स्वयं मौन भी बोला।। इस प्रकार ऋषभायण में शोक बिम्बों की स्थापना हयी है। 12601
SR No.009387
Book TitleRushabhayan me Bimb Yojna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSunilanand Nahar
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2010
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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