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________________ राजा के रूप में ऋषभ का जीवन महान्, जनप्रिय, संयमी एवं कल्याणकारी था। नारी शिक्षा के रूप में ऋषभ राज्य आज भी प्रासंगिक है। उन्होंने अपनी पुत्रियों को लिपि एवं गणित का ज्ञान देकर जहाँ शिक्षा का प्रचार प्रसार कर शिक्षा जगत में नारी का प्रदेय सुनिश्चित किया, वहीं पुत्रों को शब्द शास्त्र, छंद शास्त्र, मानव मणि, पशु लक्षण का ज्ञान देकर, शिक्षा का विस्तार किया। वर्तमान युग में अर्थ जगत का विकास होने के बावजूद भी नारी शिक्षा के क्षेत्र में पीछे हे, उसके साथ न्याय नहीं हो पा रहा है, जबकि मानवी एवं सृजन के मूल में होने के नाते शिक्षा का अधिकार उसे प्रथमतः होना चाहिए था। निश्चित ही 'नारी शिक्षा एवं नारी जागरण के संदर्भ में पुरूष प्रधान समाज द्वारा उसके साथ न्याय नहीं हुआ। नारी अशिक्षा की इस पीड़ा को झेलती हुई पुरूष वर्ग के शोषण एवं अत्याचार को सहती रही। पशु पक्षी शिक्षित हो सकते, फिर नारी की कौन कथा, दीर्घकाल अज्ञान तमस की, झेली उसने मौन व्यथा। ऋ.पृ.-67 शिक्षा दीक्षा के पूर्ण प्रसार से लोगों में अपने पराए का भाव विकसित हुआ, जिससे समाज में अपनेपन की नवीनधारा बह चली : मम माता मम पिता सहोदय, मेरी पत्नी मेरा पुत्र मेरा घर है मेरा धन है सघन हुआ ममता का सूत्र ऋ.पृ.-68. एकाएक कल्पवृक्षों के असहयोग से क्षुधा की समस्या गहराई। ऋषभ ने युगलों को स्वावलम्बन की सीख देते हुए कर्म के लिए प्रेरित किया : कर्मभूमि का प्राण कर्म है, आँकों इन हाथों का मूल्य। ऋ.पृ.-70 ऋषभ के कर्मवाद के उपदेश से युगलों का पौरूष जागृत हुआ। सब
SR No.009387
Book TitleRushabhayan me Bimb Yojna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSunilanand Nahar
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2010
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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