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________________ • भरत द्वारा बाहुबली पर रत्नदंड के प्रहार की तीव्रता को पवन गति की तीव्रता से व्यक्त किया गया है। भरत का प्रहार इतना गुरू गंभीर व घातक था कि बाहुबली आजानु तक धरती में धँस गए जिससे किंचित मूर्छना और आँखों के समक्ष अंधेरा छा जाने के कारण दिन भी उन्हें रात्रि के समान दिखाई देने लगा उठा भरत ले रत्न - दंड कर, किया पवन गति से आघात | हुआ अनुज आजानु भूमिगत, अनुभव जैसे दिन में रात ।। ऋ.पृ. 282 मन के वेग की तुलना किसी से नहीं की जा सकती, किन्तु वेगवान उदाहरणों से उसके अतिशय वेग की कल्पना की जा सकती है। मन के वेग का आकलन अश्व ही क्या पवन के वेग से भी नहीं किया जा सकता। यहां अश्व और पवन की गति को फीका बताकर मन के वेग की क्षिप्रता को व्यक्त किया गया है मापना गति वेग हय का, सरल है, अति सरल हैं । वेग मन का पवन से भी, शीघ्रगामी तरल है ।। ऋ. पृ. 237 कवि ने 'मृग' और 'चीता' का बिम्ब भी निरूपित किया है। युद्ध से पलायन करती हुई भयभीत सेना के लिए 'मृग' तथा प्रतिद्वन्द्वी सबल सेना के लिए 'चीता' का बिम्ब निर्मित किया गया है । सेनानी के खड्गरत्न के प्रहार से पलायन करती हुयी गिरिजनों की सेना ऐसे दिखाई देती है जैसे 'मृग' ने 'चीता' को देख लिया हो सेनानी ने खड्ग रत्न ले, क्षण में सबको जीता, किया पलायन जैसे मृग ने देख लिया हो चीता । ऋ. पृ. 171 कवि ने खेल में प्रयुक्त कंदुक के उछाल एवं उसे लपकने की क्रिया का बिम्बांकन भी किया है। बाहुबली के द्वारा कंदुक के समान भरत को आसमान में उछाल देना फिर उन्हें हाथों से झेल लेना तीव्र गतिज बिम्ब का अच्छा उदाहरण है [ (15) चक्र की तीव्रगति को भी उड़ने की क्रिया से व्यक्त कर उसे गतिमयता प्रदान की गयी है। बाहुबली के दक्षिण कर में स्वयं विराजित चक्र जब भरत की ओर उड़ा तब वहां उपस्थित सेनानियों में दुश्चिन्ताजन्य अशुभ कोलाहल का ज्वार सा आ गया | (16) 225
SR No.009387
Book TitleRushabhayan me Bimb Yojna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSunilanand Nahar
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2010
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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