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________________ कोमलता और उष्णता का एक साथ नियोजन भी सराहनीय है। ऋषभ के अदर्शन के अनुताप से उबल रहा बाहुबली का मन जहां उष्णता की अनुभूति कराता है वहीं सचिव की मधुरवाणी कोमलता का भी परिचय देती है - बाहुबली का करूण विलाप, उबल रहा मन का अनुताप बोला मृदु वच सचिव सुधीर, क्यों प्रभु इतने आज अधीर ? ऋ.पृ. 139 इसी सन्दर्भ में सचिव की मृदुवाणी को जलकण की शीतलता एवं बाहुबली की व्यग्रता को दुग्ध के उफान की उष्णता से व्यक्त किया गया है। उफनता हुआ दुग्ध जल के छींटे से शांत हो जाता है - तप्त दूध में एक उफान, हुआ सचिव वच जल-कण पान । बाहुबली अंतर्-आलाद, पहुँच गया अपने प्रासाद | ऋ.पृ. 140 ऋषभ की स्निग्ध मधुर वाणी की दिव्य अनुभूति जलद के शीतल जल के स्पर्श से की गयी है - स्निग्ध मधुर मृद प्रभु की वाणी, शीतल जलद अमृत उपमान। ऋ.पृ. 198 बदले के भाव से उन्मत्त भरत पर प्राणघातक आघात के लिए व्याकुल बाहुबली का क्रोध देवताओं की मधुरवाणी से वैसे ही शान्त हो गया जैसे उफनता हुआ दुग्ध जल कण के प्रभाव से शान्त हो जाता है - सलिल बिन्दु से सिक्त दुग्ध का, शान्त हो गया सहज उफान। शांत हुआ आवेश जटिलतम, स्फुरित हुआ चिंतन अम्लान ।। ऋ.पृ. 288 विरोधी स्पर्य अनुभूतियों के चित्रण में आचार्य महाप्रज्ञ की गहन दृष्टि का परिचय मिलता है। शीतलता और उष्णता का संगम अभूतपूर्व है। युद्ध की दाहकता को 'अग्नि' तथा त्याग वृत्ति को जल के 'शीतल' गुणधर्म से व्यक्त किया गया है - युद्ध की इस अग्नि को यह, त्याग-नीर बुझा सकेगा। ऋ.पृ. 290 क्रोध एवं मधुर वाणी का दाहक व शीतल स्पर्श परक विम्बान्कन भी कवि ने किया है। बालपन में जब भरत बाहुबली के पृष्ठ भाग पर मुष्टि घात कर भाग hori
SR No.009387
Book TitleRushabhayan me Bimb Yojna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSunilanand Nahar
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2010
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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