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- था, जिस प्रकार क्रीड़ा में लीन बालक गेंद को झेल लेता है -
बाल-क्रीड़ा निरत बालक, गेंद जैसे झेलता। भरत को झेला अधर में, स्नेह की कोमल लता।।
ऋ.पृ. 235
युद्ध में सूर्ययशा को सम्मुख देखकर प्रेम की प्रगाढ़ता के कारण बाहुबली का शस्त्र कोमल धागे के समान प्रतीत हो रहा है -
शस्त्र बना है कोमल धागा, हो जाओ सहसा अव्यक्त। ऋ.पृ. 266
प्रातःकालीन सूर्य की किरणों का कोमल स्पर्श भी अति आनन्ददायी होता है -
दिनमणि की स्वर्णिम किरणों ने किया धरा का कोमल स्पर्श।
ऋ.प. 190
कोमलता के अतिरिक्त कठोरता के आधार पर भी स्पर्ध्य बिम्बों का निर्माण कवि ने किया है। युगल नर शिशु के सिर पर तालफल के आघात को वज की कठोरता से व्यक्त किया गया है -
सुई समय की घूमी सहसा, एक तालफल टूट गिरा, वजाहत सा नर शिशु का सिर, आज हुई है मौन गिरा।
ऋ.पृ. 39
युद्ध में भरत के चक्रप्रहार से सुरक्षित रहने के लिए अनिलवेग द्वारा विद्याबल से विनिर्मित सुरक्षा कवच की अभेद्य कठोरता को वज़ की कठोरता से बिम्बित किया गया है -
विद्याबल से किया विनिर्मित, सृदृढ़ वज्रपंजर अभिराम।
मान सरक्षा-कवच विहग ने, लिया अभय बन कर विश्राम।
ऋ.प्र. 261
भरत, बाहुबली के द्वन्द्व युद्ध की घोषणा से बहलीश्वर की सेना विजय के प्रति आश्वस्त है, क्योंकि बाहुबली की भुजा वज के समान कठोर एवं शक्तिशाली है -
हर्षित बहलीश्वर की सेना, अब निश्चित है विजयोल्लास स्वामी का है बाहु वजमय, विफल बनेगा भरत प्रयास।
ऋ.पृ. 272
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