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________________ यौगिक क्रिया में लीन ऋषभ की साधनात्मक एवं प्रशांत स्थिति का बिम्बाकंन शरद चन्द्र की चाँदनी में पूर्ण विकसित सुकोमल कमल से किया गया है भूख, तृषा, अनुभूति अल्पतम, योग-विभूति प्रसाद मिला, शरदचंद की प्रवर चाँदनी, कमल सुकोमल सुमन खिला। ऋ.पृ. 115 राजा के रूप में ऋषभ के चिकने केशों की स्मृति भी कोमल स्पार्शिक बिम्ब से की गयी है - वे कहाँ चिकने मृदुल कच, पवन कम्पित यह जटा ? ऋ.पृ. 120 अयोध्या के उद्यान में विराजमान ऋषभ के आभामण्डल के प्रभाव से शाखाओं के कोमल पत्ते भी चमकने लगते हैं - दमक रहा है, चमक रहा है, हर शाखा का कोमल पर्ण। ऋ.पृ. 154 मृदुल 'व्यवहार' का उद्घाटन भी स्पर्श जन्य अनुभूति से किया गया है। ज्येष्ठ भ्राता भरत के राज्य विस्तार से पीड़ित अपने अट्ठानबे पुत्रों को संबोध देते हुए ऋषभ कहते हैं कि कोमल व्यवहार संवेदनाओं के आदान प्रदान का सक्षम अस्त्र है। पारिवारिक कलह का शमन अस्त्र-शस्त्र से नहीं अपितु मृदुल व्यवहार से किया जा सकता है - निजी कलह में काम ने देता, पुत्र! कहीं भी आयस अस्त्र। मधुर मृदुल व्यवहार परस्पर, संवेदन का सक्षम शस्त्र ।। ऋ.पू. 201 भरत के प्रति सेनापति की विनम्रता का प्रकाशन भी कोमल स्पर्शिक बिम्ब से किया गया है - बद्धांजलि विनयानत मुद्रा, सेनापति मृदु स्वर में। ऋ.पृ. 167 ‘स्नेह' की अनुभूति भी कोमल स्पार्शिक बिम्ब से कराई गई है। भरत के दूत को देखकर बाहुबली को अपने बचपन की याद आ जाती है कि किस प्रकार उन्होंने गज पर आरूढ़ भरत का चरण पकड़कर उन्हें आकाश की ओर उछाल दिया था, किन्तु भ्रातृत्व प्रेम के कारण उनकी कोमल देह यष्टि को उसी प्रकार झेल लिया | 202
SR No.009387
Book TitleRushabhayan me Bimb Yojna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSunilanand Nahar
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2010
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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