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5. स्पर्श बिम्ब
त्वक संवेदनाओं पर आधारित स्पर्ध्य बिम्बों का रूपायण ऋषभायण में प्रचुर मात्रा में किया गया है। आचार्य महाप्रज्ञ ने कोमल, कठोर, उष्ण, शीतल, चुभन आदि स्पर्शपरक संवेदनाओं को रूपायित किया है। उक्त संवेदनाओं का नियोजन समान रूप से हुआ है। कोमल भावों की अभिव्यक्ति सुमन, किसलय आदि के बिम्ब से की गई है। शिशु की मृदुमुस्कान किसे प्रभावित नहीं करती ? शिशु ऋषभ की मृदुमुस्कान को देखकर पुष्पों में प्रतिस्पर्धा का भाव जागृत होने लगता है -
मृदु मुस्कान निहार, सुमन में, प्रतिस्पर्धा का भाव जगा।
ऋ.पृ. 37
शिशु ऋषभ के लिए पिता की गोद का आश्रयण तथा पृथ्वी द्वारा प्रदत्त कोमल वानस्पतिक शैय्या कोमल स्पर्शिक बिम्ब से परिपूर्ण है -
चा
अंबर विशद वितान मनोहर, वसुधा ने मृदु तल्प दिया। पिता गोद वर विश्रामालय, सविता से संकल्प लिया।
ऋ.पृ. 36
ऋषभ के चरण की कोमलता के लिए कमल उपमान का स्पर्शिक बिम्ब प्रस्तुत किया गया है। भरत को पिता के कमलवत् चरणों की सेवा में पूर्ण आनंदानुभूति होती है :चरणकमल-रजकण की सेवा, देती परम प्रमोद।
ऋ.पृ. 84
सामाजिक जीवन में युगलों के नवप्रवेश का बिम्बांकन 'कोमल किसलय' से किया गया है -
पाँच श्रेणियों की रचना से, शिशु-समाज को प्राण मिला। कर्मभूमि के कोमल किसलय, को आतप से त्राण मिला।
ऋ.पृ. 64
शिक्षा के क्षेत्र में नारी का (ब्राह्मी, सुन्दरी) प्रथम प्रदेय तथा उसकी उदारता की अभिव्यक्ति कोमल हृदय में खिले हुए पुष्प से की गयी है -
लिपि-गणित की शिक्षा में, नारी को पहला स्थान मिला, कोमलतम अन्तर में कोई, परिमल परिवृत पुष्प खिला।
ऋ.पृ. 67