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________________ अथवा मनोवैज्ञानिक चित्रण से युक्त ऐसा सुनियोजित सांगोपांग और जीवन्त लम्बा कथानक होता है, जो रसात्मकता या प्रभान्विति उत्पन्न करने में पूर्ण समर्थ होता है, जिसमें यथार्थ, कल्पना या संभावना पर आधारित, "ऐसे चरित्र या चरित्रों के महत्वपूर्ण जीवनवृत्त का पूर्ण या आंशिक चित्रण होता है, जो किसी युग के सामाजिक जीवन का किसी न किसी रूप में प्रतिनिधित्व करते हैं और जिसमें किसी महत्प्रेरणा से परिचालित होकर किसी महत् उद्देश्य की सिद्धि के लिए किसी महत्वपूर्ण गंभीर' अथवा आश्चर्योत्पादक और रहस्यमय घटना या घटनाओं का आश्रय लेकर संश्लिष्ट और 'समन्वित रूप में व्यक्ति विशेष और युग-विशेष के समग्र जीवन के विविध रूपों, पक्षों, मानसिक अवस्थाओं अथवा नाना रूपात्मक कार्यों का वर्णन और उद्घाटन किया गया रहता है। (७) अंततः यह कहना सर्वथा उपयुक्त होगा कि ऋषभायण आत्मा के उत्थान का लोकोत्तर महाकाव्य है जिसमें जीवन का लोकपक्ष, दर्शनपक्ष एवं अध्यात्मपक्ष मुखरित हुआ है। डॉ. भगीरथ मिश्र ने महाकाव्य के संदर्भ में सुस्पष्ट मत स्थापित करते हुए लिखा है कि "महाकाव्य विशाल जीवनानुभव, गंभीर हृदय मंथन और महान् प्रेरणा का परिणाम है। वह रचना के बाद निश्चयतः प्रशंसित और प्रख्यात होगा, इसमें कोई संदेह नहीं। पर यह तभी हो सकता है जब उसमें अभ्यांतर गुणों का समावेश हो केवल बाह्य लक्षणों की लकीर नहीं। ये गुण संस्कृति या जीवन के रहस्य उद्घाटन, गंभीर भाव प्रवाह, उत्कृष्ट कवित्व, उदात्त शैली और महान् चरित्र की उद्भावना में देखे जा सकते हैं। महाकाव्य लिखने के उद्देश्य के परिणाम सदैव महाकाव्य नहीं होते, पर इस उद्देश्य को सामने रखे बिना जो प्रतिभा संपन्न कवि, नवीन दृष्टिकोण से जीवन का स्वरूप और दर्शन तथा बहा ले जाने वाली भावों की गंभीर धाराओं को अपने काव्य में प्रवाहित करता हुआ महान् चारित्र्य की सृष्टि करता है, वह महाकवि और उसके इस प्रकार के प्रयत्न का परिणाम महाकाव्य होता है।"(6) ऋषभायण जीवन के विस्तृत फलक पर अर्थ, धर्म, काम को निरूपित करते हुए 'मोक्ष' का दिव्य संदेश देता है। 15
SR No.009387
Book TitleRushabhayan me Bimb Yojna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSunilanand Nahar
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2010
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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