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ज्ञात होता तो भरत से दूर सब रहते नहीं,
क्या विनीता पहुँचकर, दो शब्द मधु कहते नहीं ?
ऋ. पृ. 237
मोहभाव का बिम्बांकन भी मधु के स्वाद से किया गया है । सुत, स्वजन परिवार का बंधन 'मोह' का कारण है । इस मोह मधु से ही भरत के तलवार की धार कुण्ठित हो गयी है
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सुत स्वजन का मोह मधु से, लिप्त असि की धार है ।
ऋ. पू. 239 शर्करा की मिठास के आस्वादमय बिम्बों का भी चित्रण 'ऋषभायण' में किया गया है। युगलों के प्राकृतिक जीवन की मिष्ठता की अभिव्यक्ति मिट्टी एवं सरिता के मीठे जल से की गयी है, जिसका स्वाद शर्करा के स्वाद से भी अनंत गुना है -
मधुर शर्करा से अनन्त गुण, मिट्टी का रसमय आस्वाद सरिता के जल की मिठास में भी मिलता उसका संवाद |
ऋ. पृ. 9 छन्द शास्त्र के आत्मसातीकरण के लिए शर्करा मिश्रित दुग्ध का स्वादमय बम्ब अवलोकनीय है । विद्या विकास के सन्बन्ध में ऋषभ भरत से कहते हैं कि शब्द सिद्धि का द्वार खुलने पर ही छन्दशास्त्र में पारंगत हुआ जा सकता है
छन्द शास्त्र हो आत्मसात तब, सिता दूध में सहज घुले ।
ऋ. पू. 66
इक्षुवाटों से परिपूर्ण सरस भूमि पर रस का आवर्षण इस प्रकार होता है कि उसका कण-कण 'मिठास' से परिपूर्ण हो सबकी भावनाओं को मधुर गुणों से आपूरित कर देता है
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सरस भूमि रस का आवर्षण, कण-कण मे संभरित मिठास मनस मधुरिमा से आपूरित, गगन-धरा-व्यापी उल्लास ।
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ऋ. पृ. 74
लवण रहित फीके स्वाद का आकर्षक बिम्ब भी प्रस्तुत किया गया है । 'चिंता' की अभिव्यक्ति सीट्ठे या फीके स्वाद से की गयी है । अनिल वेग के तीव्र प्रहार से भरत के सेनापति की मनःस्थिति क्षणिक पराजय बोध से ऐसी हो गयी जैसे लवण रहित शाक का स्वाद फीका होता है
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