________________ .. अहिंसा का सम्बन्ध सदाचरण, सव्यवहार तथा मानवता के विकास से है, वहीं हिंसा का सम्बन्ध अनाचार से है जिसमें हिंसक की संपूर्ण पतनकारी वृत्तियां समाहित हैं। निम्नलिखित उदाहरण में हिंसा को अशांति तथा दुःख के बीज के रूप में आरोपित कर उसके क्रूर अट्टहास को ध्वनित किया गया है : शांति भंग दुःख-बीज वपन कर, हंसने वाली हिंसा है। ऋ.पृ.-159. आज विश्वस्तर पर हिंसा की चरम व्याप्ति विश्व मानव एवं कवि की चिन्ता का कारण है। 'हिंसा' एक ऐसी धारणा है जो संपूर्ण मानवता को पंगु बनाए हुए है। आचार्य श्री ने हिंसा के क्रूर अट्टहास को भी ध्वनि बिम्ब के रूप में व्यक्त किया है। इस प्रकार उक्त संदर्भो के आधार पर कहा जा सकता है कि आचार्य महाप्रज्ञ ने श्रोत संवेदनाओं को मखरित कर ऋषभायण में उनकी ध्वनि परक प्रतिष्ठा की है। --00-- | 1897