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________________ .. के दृश्य बिम्ब से प्रस्तुत किया गया है :-- पुरिमताल के शकटानन में, प्रभुवर ऋषभ पधारे हैं। एकत्रित हैं अनगिन सुर-नर, नभ में जितने तारे हैं। ऋ.पृ.-150. जनधारणा के आधार पर भी 'तारा' एवं सूर्य का बिम्ब नियोजित किया गया है। बाहुबली को संदेश देने के लिए भरत द्वारा प्रेषित दूत बहली देश की जनता की पूर्वधारणा का चिंतन करते हुए सोचता है कि क्या भरत को 'तारा' के समान तथा बाहुबली को 'आदित्य' के समान तेजस्वी मानना औचित्य पूर्ण है? यहाँ शौर्य एवं तेजस्विता को ध्यान में रखते हुए भरत को 'तारा' एवं बाहुबली को 'आदित्य' दृश्य बिम्ब से प्रस्तुत किया गया है : बाहुबली की कीर्ति-गाथा, क्या यहां औचित्य है ? धारणा क्यों भरत तारा, बाहुबलि आदित्य है / ऋ.पृ.-229 'भरत को 'रत्नमणि' और 'रत्न काकिणी' जैसे दिव्य आयुध रत्नों की उपलळि / हुई थी जिसकी तेजस्विता का चित्रण 'सूर्य' की तेजस्विता से किया गया हैं : रत्न प्रवर मणि और काकिणी, सूर्य सदृश्य तेजस्वी. ऋ.पृ.-165. विकेन्द्रित शासन पद्धति के लिए कवि ने मेघखण्डों का बिम्ब निर्मित किया है। ऋषभ ने राज्य व्यवस्था के संचालन हेतु उग्र, भोज, राजन्य, क्षत्रिय आदि विभागों की स्थापना की। जिस प्रकार से मेघखण्ड सम्पूर्ण आसमान में अपने अलग अस्तित्व का प्रकाशन करते हैं, उसी प्रकार प्रत्येक विभागों के स्वतंत्र प्रभार से सुदृढ़ राज्य व्यवस्था की नींव पड़ी। यहाँ विकेन्द्रित शासन पद्धति को गगन खण्ड में फैले हुए बादल के बिम्ब से प्रस्तुत किया गया है : सवया सम अधिकार प्राप्त जन, श्रेणी प्रज्ञापित 'राजन्य' बनी विकेंद्रित शासन-पद्धति, गगनखंड में ज्यों पर्जन्य। ऋ.पृ.-70. आसमान में कौंधने वाली 'विद्युत' का बिम्बात्मक प्रयोग परम्परा से कान्ति या चमक के रूप में होता रहा है। यहाँ परम्परित रूप से 'विद्युतलेखा' का बिम्ब 11761
SR No.009387
Book TitleRushabhayan me Bimb Yojna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSunilanand Nahar
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2010
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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