________________ रहा है। समाज में प्राचीन काल से ही शिक्षा के क्षेत्र में नारियाँ पिछड़ी रही हैं। इस क्षेत्र में पुरूष समाज द्वारा उनका शोषण होता रहा है जिस कारण नारियाँ एक लम्बी अवधि तक अज्ञान के अंधकार में भटकती रही। दीर्घावधि तक नारियों की अज्ञान दशा को 'तमस' के बिम्ब से प्रस्तुत किया गया है :-- पशु-पक्षी शिक्षित हो सकते, फिर नारी की कौन कथा ? दीर्घकाल अज्ञान तमस की, झेली उसने मौन व्यथा। ऋ.पृ.-67. शिक्षा-दीक्षा के समुचित विकास हेतु ऋषभदेव ने बाहुबली को मानव, पशु तथा मणि के पहचान की विधिवत् शिक्षा दी जिससे इस विद्या का प्रचुर मात्रा में विकास हुआ। इस प्रकार निम्न उदाहरण में विद्या वैभव को 'दीवट' एवं ज्ञान को 'ज्योति दीप' के दृश्य बिम्ब से चित्रित किया गया है :-- 'बाहुबली को मानव-मणि-पशु,-लक्षण का संज्ञान दिया। विद्या वैभव के दीवट पर, ज्योतिदीप संधान किया। ऋ.पृ.-67. नैसर्गिक जीवन की समाप्ति के बाद युगलों में कलह, दमन, अतिक्रमण वृत्ति धीरे-धीरे बढ़ने लगी। पूर्व में संबंधों से दूर युगल अधिकार भाव से प्रेरित हो अब एक सूत्रता में बंधने लगे जिसे 'माला के मनका' के बिम्ब से तथा युगलों के प्राकृतिक जीवन से कुलकर व्यवस्था में परिवर्तित जीवन को निरभ्र आकाश में छाए हए 'बादल' के बिम्ब से चित्रित किया गया है : नैसर्गिकता की इति, अथ हुआ दमन का। हर युगल बना है अब माला का मनका। नव युग का नव जीवन आकस्मिक आया। जैसे निरभ्र अंबर में बादल छाया। ऋ.पृ.-22 आकाशीय बिम्बों में तारा, बिजली, सूर्य एवं बादल का बिम्बात्मक चित्रण महाकाव्य में प्रचुर मात्रा में हुआ है। अयोध्या के पुरिमताल के शकटानन उद्यान में ऋषभ देवताओं एवं विशाल जनसमूह को सम्बोधित करने के लिए उपस्थित हुए हैं। श्रोताओं एवं दर्शनार्थियों की असंख्य भीड़ है, जिसे आकाश में व्याप्त असंख्य 'तारों' | 1751