________________ को सजीव बना देता है। एजरापाउण्ड एवं सिटवेल आदि विद्वान तथ्यों के सटीक उपस्थापन में ही बिम्ब की इतिश्री मानते हैं |(100) भाषा में बिम्ब विधान के उद्घाटन में ध्वन्यात्मकता की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। ध्वन्यालोककार ने लिखा है-जहाँ अर्थ स्वयं की तथा शब्द अपने अभिधेय अर्थ को गौण करके प्रतीयमान अर्थ को प्रकाशित करते हैं। उस काव्य विशेष को विद्वानों ने ध्वनि कहा है |101) अर्थात् जहां प्रतीयमान अर्थ (व्यंगार्थ) वाच्यार्थ से अधिक सुंदर हो वहाँ ध्वनि का अस्तित्व स्वीकार किया जायेगा। अभिव्यक्ति की सफलता शब्दों की ध्वनन शक्ति पर अधिक निर्भर है। शब्द एक ओर तो अर्थ की प्रतीति कराकर वस्तु अथवा भाव का बिम्ब मानस नेत्रों के सम्मुख जगाते हैं और दूसरी ओर अपनी ध्वनि से अर्थ को मुखर करके एक ध्वनिचित्र भी उतार देते हैं। कविता की भाषा के शब्द सस्वर होने चाहिए।102) इस प्रकार उक्त गुणों से परिपूर्ण भाषा विविध बिम्बों का उद्घाटन करने में सक्षम होती है। ---00-- 1127|