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________________ इस प्रकार कल्पना काव्य का प्रधानगुण है। कवि कविता के द्वारा दृश्य को मूर्त अथवा अमूर्त रूप में व्यक्त करता है। भावों को कल्पना ही छवि का साकार अमलीजामा पहनाती है। कल्पना जितनी ही प्रखर होगी, उसका बिम्ब उतना ही स्पष्ट एवम् मूर्तिवंत होगा। ध्यान देने की बात यह है कि कविता मात्र कोरी कल्पना का दस्तावेज नहीं है वह तो सत्यं शिवं और सुंदरम् की अधिष्ठात्री देवी है जिसका श्रृंगार तथा निखार कल्पना के द्वारा होता है। कभी वह अलंकारों के रूप में अभिव्यक्त होती है तो कभी प्रतीक के रूप में, कभी व्यंजना के रूप में अपनी छटा दिखाती है तो कभी लक्षणा के रूप में। इस प्रकार भावों के विविध वातायन से झांकती हुई सार्थक कल्पना बिम्बों का संसार रचने में समर्थ होती है। बिम्ब और काव्य भाषा : कविता के उपकरणों में भाषा की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। भाषा आत्मप्रकाशन का सशक्त माध्यम है। विचार विनिमय का सहज साधन है। काव्यभाषा भावों को प्रस्तुत करने में जितनी ही कारगर होगी उसका श्रोता या पाठक पर उतना ही लाभकारी प्रभाव पड़ेगा। हड़सन ने 'आत्माभिव्यक्ति की कामना को साहित्य सृजन का प्रधान प्रेरक तत्व माना है। (94) ऋग्वेद में एक स्थान पर कवि के लिए 'वत्सो वा मधुमद्वचोऽशंसीत्काव्यः कविः' (8, 8, 11) कहा गया है। सायण के अनुसार काव्य कवि का पुत्र है, जो माधुर्य से भरी वाणी बोलता है। इसी प्रकार संस्कृत साहित्य में कवि के सम्बन्ध में कहा गया है कि : मन्दं निक्षिपते पदानि परितः शब्दं समुद्वीक्षते। नानाथहिरणं च कांक्षति मुदालंकारमाकर्षति।। आदत्ते सकलं सुवर्णनिचयं धत्ते रसान्तर्गतं / दोषान्वेषण तत्परो विजयते चोरोपमः सत्कविः / / भाषा की दृष्टि से विचार करें तो वर्ण, शब्द, पद, अर्थ, अलंकार, रस सभी बातों का समुचित और सुंदर समावेश कवि के 'काव्य' में होता है। वर्ण, शब्द और पद की सम्यक् योजना भाषा का पक्ष है, पर उस योजना से जो अलंकार और रस [124]
SR No.009387
Book TitleRushabhayan me Bimb Yojna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSunilanand Nahar
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2010
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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