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________________ (3) विचार या बुद्धि तत्व : यदि भावना की अतिशयता कविता में अतिरंजना लाकर उसे सत्य से दूर ले जाती है, तो भावहीन विचारों की प्रबलता कविता को निष्प्राण बना देती है, अतएव भावगर्भित विचार या विचार वेष्टित भाव ही कविता को संदर और जीवनोपयोगी बनाते है |89) विचार अथवा बुद्धि भी काव्य में सत्य को प्रतिष्ठित करती है। किन्तु यदि वह हृदय की सत्ता से परे केवल बुद्धि अथवा विचार सत्ता का प्रकाशन करना चाहती है तो उसमें चिंतन की अधिकता तो मिलेगी किन्तु भाव शून्यता के कारण उसका सही मायने में बिम्बांकन नहीं हो सकेगा। (4) बिम्ब एवं कल्पना तत्व : कवि की कल्पना-प्रवणता काव्य को रोचक एवं प्रभावशाली बनाती है। कल्पना वस्तु-जगत् और कवि के बीच संबंध स्थिर करती है और बाह्य प्रकृति जैसे ही मानस पटल पर बिम्ब रूप में अंकित हुई कि कला का जन्म हुआ।90) कल्पना शब्द की व्युत्पत्ति ‘क्लृप' धातु से हुई है। जिसका अर्थ है रचना अथवा सृष्टि। आधुनिक आलोचना में इस शब्द का प्रयोग 'इमेजिनेशन' के रूप में किया जाता है। इसके आधार पर कल्पना एक ऐसी मानसिक प्रक्रिया मानी जा सकती है जिसमें कवि मूर्तियों अथवा रूपों की सृष्टि करता है / (71) संस्कृत काव्य शास्त्र में 'इमेजिनेशन' के लिए प्रतिभा शब्द का प्रयोग किया है। मम्मट ने प्रतिभा को पूर्व जन्म के संस्कारों से प्राप्त शक्ति कहा है, जो कवित्व का बीज है, इसके अभाव में काव्य-सृष्टि असंभव है। 'शक्तिः कवित्व बीज रूपः संस्कार विशेषः। यां बिना काव्येन प्रसरेत्, प्रसृतं वा उपहसनीयं स्यात। (काव्य प्रकाश 1.3 वृत्ति) राजशेखर ने प्रतिभा के दो विभाग किये हैं :- 1. कारयित्री प्रतिभा, 2. भावयित्री प्रतिभा। (2) ये दोनों प्रतिभाएँ काव्य को कलात्मक उत्कर्ष देती है। कालरिज काव्य सृजन में कल्पना की महत्वपूर्ण भूमिका स्वीकार करते हुए इसके छ: कार्य स्वीकार करते है (1) ऐक्यविधान Itunities (2) सार संचयन Itabstracts (3) संशोधन Itmodifies (4) उपस्थितिकरण It-aggregates (5) संग्रहण Itevokes तथा (6) संगठन It-Combines.(93) [123]
SR No.009387
Book TitleRushabhayan me Bimb Yojna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSunilanand Nahar
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2010
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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