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________________ ऐन्द्रिक-बोध से इसका विरोध होने की दशा में संवेदनों की सुस्पष्टता तथा निश्चितता को तिलांजलि दे देता है। इस प्रकार 'कृत्रिमता', सज्जात्मक चयन की प्रवृत्ति और आपेक्षिक संवेदनात्मक अस्पष्टता 'नवोत्थानकालीन काव्य के बिम्ब-विधान' की मुख्य विशेषताएँ मानी जा सकती है / (61) 2. औदात्य सिद्धांत में बिम्ब के संकेत - लौंजाइनस काव्य में औदात्य चिंतन के प्रतिष्ठापक थे। उन्होंने अपनी प्रसिद्ध कृति 'on the sublime' में दो प्रकार के औचित्य अलंकारौचित्य एवं शब्दौचित्य की विवेचना की है। उन्होंने स्पष्ट रूप से स्वीकार किया है कि अलंकारों एवं शब्दों के उचित प्रयोग से ही काव्य के प्राण तत्व उदात्त तत्व की सिद्धी होती है। अलंकारों को वे चमत्कार का पर्याय न मानकर वे प्रसंगानुकूल उसके प्रयोग के हिमायती थे। उन्होंने विस्तारणा, अतिश्योक्ति, विपर्यय, व्यतिक्रम, पर्यायोक्ति आदि अलंकारों की विवेचना की है। अलंकार अभिव्यक्ति के सशक्त माध्यम हैं, इसलिए प्रसंगवत विभिन्न बिम्बों का सृजन करते हैं। लौंजाइनस उदात्त विचारों के लिए 'कल्पना' और प्राचीन काव्यानुशीलन को आवश्यक मानते थे। वैसे “लौंजाइनस ने प्रत्यक्ष रूप में कल्पना तत्व की तो चर्चा नहीं की है, केवल जहाँ बिम्बों का वर्णन किया है, वहाँ उनकी निर्मात्री शक्ति के रूप में उसकी चर्चा की है। उनका बिम्ब से अभिप्राय कल्पना चित्र से है और उसकी प्रेरणा-शक्ति वह कल्पना को मानते है / (62) लौंजाइनस ने भाव-आवेग का उदात्त को महत्वपूर्ण तत्व के रूप में प्रस्तुत किया है। उसके अनुसार भाव आवेग निम्न आवेग व भव्य आवेग के रूप में उत्पन्न होते हैं। निम्न आवेग का सम्बन्ध भाव से है-दया, शोक, भय आदि भाव इसके अंतर्गत आते है, इसलिए विविध भावों में बिम्ब सृजित होते हैं। पाश्चात्य एवं पौर्वात्य समीक्षकों ने एक स्वर से बिम्ब के लिए भाव की अनिवार्यता स्वीकार की है। हौरेस ने औचित्य सिद्धांत के अनुसार अपने काव्य सिद्धांत की विवेचना की है। इस प्रकार, आचार्य क्षेमेन्द्र का औचित्य सिद्धांत एवं लौजाइनस के औदात्य सिद्धांत में बिम्ब के प्रयोग सम्बन्धी बहुत सी समानताएँ हैं, जिसे देखा जा सकता है। 3. अभिव्यंजनावाद (क्रोचे) में बिम्ब के संकेत - - क्रोचे ने काव्य में अभिव्यंजनात्मक शक्ति को आवश्यक माना है। अभिव्यंजना का आशय अभिव्यक्ति की कलात्मकता से है। कवि में कल्पना और प्रतिभा जन्मजात [114]
SR No.009387
Book TitleRushabhayan me Bimb Yojna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSunilanand Nahar
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2010
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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