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________________ >.... भारतीय समीक्षा और पाश्चात्य समीक्षा में बिम्ब 'बिम्ब' विधा का जन्म आधुनिक काल में पाश्चात्य जगत में हुआ। भारतीय समीक्षा और पाश्चात्य समीक्षा में आधुनिक काल यानी सन् 1908 के पूर्व "बिम्ब' विधा का उल्लेख नहीं मिलता। एक ओर डॉ. नगेन्द्र यह लिखते हैं कि भारतीय काव्यशास्त्र के लिए बिम्ब कोई अज्ञात वस्तु नहीं है तो दूसरी ओर यह भी लिखते हैं कि 'जिस रूप में बिम्ब का विवेचन विश्लेषण यूरोप के साहित्य के अंतर्गत वर्तमान शती में हुआ है उस रूप में भारतीय काव्यशास्त्र में नहीं मिलता। (17) इससे यह स्पष्ट होता है कि भारतीय काव्यशास्त्रियों ने अपने सिद्धांतों में विचार के मान से 'बिम्ब' धारणा पर कोई विचार तो नहीं दिया। किन्तु प्राकारान्तर से बिम्ब की अभिव्यक्ति हुयी, क्योंकि काव्य का संबंध प्रत्यक्षतः अप्रत्यक्षतः भावना, कल्पना और अनुभूति से होता है। जो अपनी प्रस्तुति में बिम्बात्मक होती है। केदारनाथ सिंह के अनुसार 'भारतीय काव्यशास्त्र की परंपरा में बिम्ब शब्द अपेक्षाकृत नया है। पुराने लक्षण ग्रंथों में इसका प्रयोग नहीं मिलता। केवल दृष्टांत अलंकार की चर्चा में बिम्ब प्रतिबिम्ब भाव का उल्लेख मिलता है, जिसका आधुनिक कविता से कोई संबंध नहीं। (18) दृष्टांत अलंकार को परिभाषित करते हुए आचार्य विश्वनाथ ने लिखा है कि-'दृष्टान्तवस्तु सधर्मस्य वस्तुतः प्रतिबिम्बनम् (19) और इसी परिभाषा को कुछ और विस्तृत करते हुए रामदहिन मिश्र लिखते हैं कि 'जहां उपमेय उपमान और साधारण धर्म का बिम्ब प्रतिबिम्ब भाव हो वहाँ दृष्टांत अलंकार होता हैं । (20) यहां उपमेय और उपमान का विधान दृष्टव्य है क्योंकि 'उपमेय' प्रस्तुत और उपमान 'अप्रस्तुत' का वाचक है। बिम्ब का कार्य व्यापार प्रस्तुत और अप्रस्तुत दोनों से होता है। सादृश्यमूलक अलंकार इसके प्रमाण हैं। केदारनाथ सिंह दृष्टांत अलंकार में प्रयुक्त “बिम्ब प्रतिबिम्ब भाव को जहां आधुनिक कविता में प्रयुक्त बिम्ब से कोई संबंध नहीं मानते वहीं डॉ. नगेन्द्र इस बिम्ब प्रतिबिम्ब भाव को किसी सीमा तक आधुनिक बिम्ब के निकट मानते हैं। उनके अनुसार उक्त लक्षणों में बिम्ब का प्रयोग मूलभाव (अमूर्त) अथवा विचार के अर्थ में किया गया है और 'प्रतिबिम्ब' का प्रयोग उसको मूर्तित करने वाले अप्रस्तुत विधान के लिए जो साम्य पर आधृत रहता है |(21) अर्थात् 'बिम्ब' यहाँ अमूर्त मूलभाव का वाचक है और प्रतिबिम्ब उसके मूर्ति विधान | 1011
SR No.009387
Book TitleRushabhayan me Bimb Yojna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSunilanand Nahar
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2010
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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