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________________ ... आधुनिक काल का कवि चूँकि बिम्ब के सैद्धांतिक पहलू से भी परिचित है इसीलिए उनकी कविताओं में विविध भाव बिम्बों का पूर्णतः प्रसार देखा जा सकता है। आचार्य महाप्रज्ञ आधुनिक काल के विशेष भावभूमि पर प्रतिष्ठित है, क्योंकि वे कोरे कवि नहीं, गहरे ध्यान में पैठने वाले साधक भी है, इसलिए उनके काव्य में बिम्बों का पारदर्शी रूप सहज ही दिखाई देता हैं। उनकी दृष्टि अनेकांत दृष्टि है, जिसमें सभी दृष्टियों का तिरोभाव हो जाता हैं। इस रूप में भी उनके द्वारा निर्मित बिम्ब बहुत ही आकर्षक बन पड़े हैं। वस्तुतः आचार्य महाप्रज्ञ संस्कृति साहित्य के मर्मज्ञ है, जिसका परिणाम यह हआ कि उनके द्वारा रचित हिन्दी से संबंधित काव्य ग्रंथों का शरीर तो हिन्दी का ही है, किन्तु उसकी आत्मा में संस्कृत भी। जिसके कारण उनकी भाषा भी परिशुद्धता से परिपूर्ण हैं। भाषा का यह शुद्धिकरण कही न कही उनकी सम्यक दृष्टि, सम्यक ज्ञान एवं सम्यक चारित्र्य को प्रस्तुत करती है, जो किसी भी साधक की अक्षय निधि मानी जा सकती हैं। 'ऋषभायण' महाकाव्य पर जहाँ तक मैं जानती हूँ अभी तक कोई शोध कार्य नहीं हुआ हैं यह बात अलग है कि जतन लाल जी रामपुरिया ने 'अनुकृति' के द्वारा ऋषभायण पर भक्त दृष्टि अपनाते हुये उसके अध्यात्मिक पहलुओं को उजागर किया है, निश्चित उनका यह महत्वपूर्ण प्रयास हैं किन्तु बिम्ब की दृष्टि से इनमें कहीं भी जतनलाल जी रामपुरिया की खोजी दृष्टि नहीं दिखती और न ही महाकाव्य का सम्पूर्ण चित्रफलक ही उजागर होता है, हाँ उनका प्रारंभिक प्रयास आदरणीय है। कन्हैयालाल फूलफगर के सम्पादकत्व में आचार्य महाप्रज्ञ के साहित्य पर विविध विद्वानों के लेख 'महाप्रज्ञ का रचना संसार' कृति में निबंधित है, जिसमें 'आर्ष चेतना का स्रोत्र : ऋषभायण महाकाव्य' शीर्षक में डॉ. राजेन्द्र मिश्र के लेख को स्थान दिया गया है। इस लेख में लेखक ने लिखा है कि 'वस्तुतः मैं ऋषभायण महाकाव्य की सार्थकता, नामान्वर्थकता तथा महाकाव्य की लक्ष्य सिद्धि भी पंचमसर्ग तक ही मानता हूँ। एतावन्मात्र कथानक से भी महाकाव्य की सांगोपांगता में कोई कमी नहीं दिखाई देती। महाकाव्य की शेष गाथा ऋषभगाथा की बजाय संतति गाथा मात्र है, जिसका ऐतिहासिक महत्व निश्चय ही साभिनंदन एवं स्वीकारणीय है। महाकाव्य की लक्ष्य सिद्धि विद्वान लेखक के द्वारा पाँचवे सर्ग तक ठहराना क्या उचित है ? यदि पाँचवें सर्ग के बाद कथा विकसित न होती तो क्या 'ऋषभायण'
SR No.009387
Book TitleRushabhayan me Bimb Yojna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSunilanand Nahar
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2010
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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