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________________ महाकाव्य कालजयी ग्रंथ बन पाता ? वस्तुतः महाकाव्य में एक बात विशेष रूप से परिलक्षित होती है, और वह है ऋषभ के द्वारा स्वयं आत्मोत्थान करते हुए परिजनों के आत्मोत्थान द्वारा भौतिक मानसिक दशा का मार्गान्तरीकरण करना, इस दृष्टि का विकास पाँचवे सर्ग के बाद अंतिम सर्ग तक दिखाई देता हैं, इसीलिए इस संदर्भ में आदरणीय मिश्र की दृष्टि एकांगी जान पड़ती हैं। ऋषभायण एक कालजयी ग्रंथ हैं, जिसे विविध बिम्बों का भंडारगृह भी कहा जा सकता हैं। कवि की दृष्टि जहाँ भौतिक सत्य को बिम्बित करती है, वहीं उनकी सूक्ष्म दृष्टि मानसिक जगत, अध्यात्मिक जगत का दृश्य भी उपस्थित करती है। अकर्म युग से कर्म युग में प्रवेश संबंधी जहाँ युगलों के जीवन से संबंधित विविध समस्याओं एवं उत्कर्ष को उजागर किया गया है, वहीं ऋषभ के रूप में आत्मान्वेषण की सर्वोच्चता का भी निष्पादन किया गया है। सात अध्यायों में विभक्त इस शोध प्रबंध के प्रथम अध्याय में समीक्षा के तत्वों के मानदंडों पर ऋषभायण की तथ्य परक विवेचना की गई हैं। 'कवि और काव्य' शीर्षक के अन्तर्गत कवि के व्यक्तित्व और कृतित्व विशद चर्चा के साथ काव्य का लक्ष्य उद्घोषित किया गया है। द्वितीय अध्याय में "बिम्ब के स्वरूप' के अन्तर्गत बिम्ब को परिभाषित करने का प्रयास किया गया हैं, साथ ही साथ भारतीय एवं पाश्चात्य समीक्षा में बिम्ब के स्वरूप को उद्घाटित करते हुए कवि, काव्य, रस, अलंकार, प्रतीक, सूक्ति आदि से बिम्ब का संबंध स्थापित करते हुए, उसके प्रकारों का उल्लेख किया गया हैं। तृतीय अध्याय ऐन्द्रिक बिम्बों पर आधारित है, जिसमें रूप, शब्द, गंध, आस्वाद्य एवं स्पर्य बिम्बों के आरेखन के साथ ही साथ एकल, संश्लिष्ट, गतिक एवं स्थिर परक बिम्बों की गहराई से जांच की गई है। चतुर्थ अध्याय में भाव बिम्बों का परीक्षण स्थायी एवं संचारी भावों के अन्तर्गत किया गया हैं। पंचम अध्याय मूर्त्तामूर्त बिम्बों से संबंधित है। छठवें अध्याय में अभिव्यक्ति विषयक-जैसे-अभिधा, लक्षणा, व्यंजना, लोकोक्ति, मुहावरे, प्रतीक, मानवीकरण, पौराणिक एवं महापुरूष चरित्र विषयक बिम्बों का प्रकाशन किया गया है। अंतिम अध्याय में, उपसंहार के अन्तर्गत कवि के समग्र विचारों के काव्य वैशिष्ट्य का आकलन किया गया हैं। --00--
SR No.009387
Book TitleRushabhayan me Bimb Yojna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSunilanand Nahar
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2010
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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