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________________ छंद में निबन्धित 'अश्रुवीणा', एक खण्ड काव्य है । इसकी कथावस्तु 'जैनागमः में प्रचलित महावीर स्वामी एवं चन्दनबाला की जनश्रुति पर आधारित है । कथा के अनुसार एक दुराचारी द्वारा राजकुमारी वसुमती (चन्दना) का अपहरण कर कौशाम्बी के एक सेठ के हाथ बेच दिया जाता है, जहां सेठानी के द्वारा उसे मानसिक, शारीरिक यंत्रणा दी जाती है। संयोग से महावीर स्वामी अपना 'अभिग्रह' पूरा करने के लिए आते हैं, जिन्हें देख चन्दना प्रफुल्लित हो उठती हैं । वहाँ अभिग्रह पूरा होने की सारी स्थितियाँ थी, किंतु चन्दना की आँखों में आँसू नहीं थे। भगवान बिना भिक्षाग्रहण किये ही वापस चले गए जिससे चन्दना का अन्तःमन विलाप करने लगा। आँखों से अश्रुधारा प्रवाहित होने लगी। अश्रुप्रवाह से भगवान चन्दना की ओर अभिमुख हो उसके हाथ से उबले हुए उड़द के दानों को ग्रहण कर अपना अभिग्रह पूरा किया। इस प्रकार 'अश्रुवीणा' में चंदना का अश्रु ही प्रस्तुत काव्य का प्रतिपाद्य है। जिन भावों को वाणी के द्वारा व्यक्त नहीं किया जा सकता वे भाव आँसुओं द्वारा व्यक्त हो वेदना के एक-एक रूप को व्यक्त कर देते हैं। आंसुओं में तरलता है इसीलिए उसमें भावाभिव्यक्ति की सघनता है । चन्दना के आँसू जहाँ महावीर स्वामी के प्रति भक्ति एवम् समर्पण के 'आँसू' वहीं उसकी करूण स्थिति के भी आँसू हैं, जिसमें उसका परिस्थिति जन्य जीवन डूबा हुआ है। इस खण्डकाव्य में चन्दना की भक्ति तथा महावीर स्वामी की उदारता, करूणा, तपस्या एवं नारी जगत के प्रति उनकी असीम कृपालु संवेदना का वर्णन प्रशंसनीय है । 1 'रत्नपाल चरित' जैन पौराणिक आख्यान पर आधारित खण्डकाव्य है । इसमें कुल पांच सर्ग हैं, जिसमें शक्रपुर के राजा रत्नपाल के बालपन से लेकर मुनि बनने तक की कथा वर्णित है । 'रत्नपालचरित' की नायिका राजकुमारी रत्नवती है, जो रत्नपाल से प्रेम करती है, उसके वियोग में वह अभितप्त है। जंगलों में विचरण करती हुयी वह अपने प्रिय का पता पेड़-पौधों से पूछती है। संयोग से मुनि बने रत्नपाल के उपदेश से रत्नवती 'साध्वी' हो जाती है । जीवन ही बदल जाता है । इस प्रकार 'लौकिक' जगत के आकर्षण से प्रारम्भ काव्य का उद्देश्य 'अलौकिक' जगत का निदर्शन है। वस्तुतः सांसारिक प्रेम का अलौकिक जगत की ओर मार्गान्तरीकरण ही वास्तविक प्रेम है। 86
SR No.009387
Book TitleRushabhayan me Bimb Yojna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSunilanand Nahar
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2010
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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