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नमस्कार सूत्र-अर्थसहित
XVI
नमस्कार सूत्र-अर्थसहित णमो अरिहंताणं-त्रिकालवर्ती तीर्थंकर प्रमुख अरिहन्त भगवन्तों को समय-समय की वन्दना होओ!
णमो सिद्धाणं-त्रिकालवर्ती सिद्ध भगवन्तों को समय-समय की वन्दना होओ!
णमो आयरियाणं-त्रिकालवर्ती गणधर प्रमुख आचार्य भगवन्तों को समय-समय की वन्दना होओ!
___णमो उवज्झायाणं-त्रिकालवर्ती उपाध्याय भगवन्तों को समय-समय की वन्दना होओ!
णमो लोए सव्व साहूणं-त्रिकालीवर्ती साधु भगवन्तों को समय-समय की वन्दना होओ!
एसो पंच नम्मोकरो-यह पंच नमस्कार मन्त्र, सव्व पाप पणासणो-सब पापों का नाश करनेवाला है मंगलाणं च सव्वेसिं-सर्व मङ्गलों में पढम हवई मंगलं-उत्कृष्ट मङ्गल है।
पंच परमेष्ठी वंदन श्लोक अरहन्तों भगवन्त इन्द्रमहिताः, सिद्धाश्च सिद्धिश्चिताः आचार्या, जिनशासनोन्नतकिराः, पूज्या उपाध्यायका।
श्री सिद्धांत सुपाठका मुनिवरा, रत्नत्रयाराधका: पंचैते परमेष्ठिन प्रतिदिन:, कुर्वन्तु नो मंगलम्।