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________________ किरणे विशेष स्वास्थ्य वर्धक होती है। जिस घर में उन किरणों का बाहुल्य होता है, वहां संक्रामक रोग होने की संभावनाएं कम हो जाती है। प्रातःकालीन सूर्योदय के . . सामने चन्द मिनटों तक देखने से नेत्र ज्योति बढ़ती है, परन्तु सूर्योदय के 40-45 मिनट पश्चात सूर्य को खुले नेत्रों से देखना हानिप्रद हो सकता है। उदित होते हुये सूर्य दर्शन से शरीर के सभी आवश्यक तत्त्वों का पोषण होता है। हृदय रोग, मस्तिष्क विकार, आंखों के विकार आदि अनेक व्याधियां दूर होती हैं। सूर्य किरणें जीवनी शक्ति बढ़ाती है, स्नायु दुर्बलता कम करती है, पाचन • और मल निष्कासन की क्रियाओं को बल देती है, पेट की जठराग्नि प्रदीप्त करती है, रक्त परिभ्रमण संतुलित रखती है, हड्डियों को मजबूत बनाती है। रक्त में कैलशियम फासफोरस और लोहे की मात्रा बढ़ाती है, अन्तःश्रावी ग्रन्थियों के श्राव बनाने में सहयोग करती है। सूर्य किरणों में विभिन्न रंग सूर्य की किरणों में सात दृश्यमान एवं दो अदृश्यमान रंगों की किरणें होती . है। दृश्यमान सात रंग निश्चित क्रम से होते हैं, जिन्हें इन्द्र धनुष के समय अथवा . विशेष प्रयोगों द्वारा आसानी से देखा जा सकता है। विभिन्न रंगों का मानव के शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ता है। प्रत्येक रंग के अपने विशेष स्वास्थ्यवर्धक गुण होते हैं। सूर्य की किरणों से होने वाले सात रंग बैंगनी नीला, आसमानी, हरा, पीला, नारंगी, लाल के क्रम से, होते हैं। .. . पहले तीन रंग शरीर में गर्मी को नियंत्रित करने तथा कष्ट में शांति पहुंचाने में सहायक होते हैं। ये रंग शरीर के अवयवों में रासायनिक परिवर्तन करने में अहं भूमिका निभाते हैं। अतः सूर्य की इन तीन रंग की किरणों तथा पराबैंगनी .. किरणों को रसायनिक किरणें भी कहते हैं। मध्य वाला हरा रंग गर्मी एवं सर्दी के प्रभाव को संतुलित रखने में सक्षम होता है। अन्तिम तीन रंग शरीर में गर्मी पहुंचाने वाले होते हैं। वर्तमान में सूर्य किरण चिकित्सा में सात रंगों के स्थान पर प्रत्येक समूह में से एक रंग का ही उपयोग करने का अधिक प्रचलन हैं। जिससे चिकित्सा पद्धति अधिक सरल बन गयी है। प्रथम तीन रंगों के समूह में से प्रायः नीला रंग, अन्तिम रंगों के समूह में से नारंगी एवं बीच के हरे रंग का अधिकतर उपयोग किया जाता है। परन्तु विशेष एवं लम्बे रोगों की स्थिति में बैंगनी एवं लाल रंग का भी उपयोगी किया जा सकता है। रोगी के लिये कौनसी किरणों का उपचार किया जाय, यह रोग की स्थिति पर निर्भर करता है। . पित्त प्रकोप . कफ प्रकोप वात प्रकोप जीभ का रंग लाल . . सफेद ' मैली मुँह की दशा कण्ठ सूखना . मुंह या नाक से मुंह सुखना 90
SR No.009380
Book TitleSwadeshi Chikitsa Swavlambi aur Ahimsak Upchar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChanchalmal Choradiya
PublisherSwaraj Prakashan Samuh
Publication Year2004
Total Pages96
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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