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है
आवाज
मुँह का स्वाद
प्यास
भूख
कभी ज्यादा
पाखाना
पेशाब की मात्रा
पेशाब की मात्रा
आंख की मात्रा
पसीना
जिस्म
त्वचा
स्पष्ट
कड़वा
ज्यादा
अधिक
सख्त
गहरा पीला
कम
• लाली वाला
बहुत ज्यादा
दुबला
गर्म
अधिक बलगम आना
भारी
फीका
कम
कम
नरम
सफेद
अधिक
सफेद
कम
मोटा
ठंडी
कर्कश
खराब
अधिक
कभी कम,
कब्ज
गंदला
कम
गंदला
ज्यादा
साधारण
खुश्व एवं शुष्क
तीन रंग की विशेषताएँ नारंगी रंग की विशेषताएँ
I
नारंगी रंग शरीर के कमजोर तथा निष्क्रिय अंगों को मजबूत एवं गतिशील बनाता है। पाचन शक्ति सुधारता है। भूख न लगने वाले रोगों को दूर करता है । 'इस रंग का प्रभाव: गर्म, उत्तेजक (Stimulating ) शक्तिवर्धक एवं विस्तारक (Expending) होने से सर्दी से होने वाले रोगों में विशेष लाभदायक सिद्ध होता है । नारंगी रंग का प्रभाव पीले रंग की अपेक्षा अधिक व लाल रंग की अपेक्षा कम गर्म प्रकृति का होता है । आमाशय, तिल्ली, लीवर, आंतों, फेंफड़ों व हाथ-पैर के रोगों इसका अधिक अनुकूल प्रभाव पड़ता है। यह आयोडीन की कमी मिटाता है। रक्त लाल कण बढाता है। मांसपेशियां स्वस्थ बनाता है और झुर्रियां मिटाने में सहायक होता है। रक्त संचालन एवं स्नायु संस्थान को सक्रिय बनाता है। गतिहीन अंगों की . जड़ता दूर कर उसमें गति लाने की क्षमता रखता है। भूख न लगना, गैस, जोड़ों का दर्द, खांसी, दमा, बच्चों की बिस्तर में पेशाब करने की आदत, निम्न रक्त चाप, स्नायु दुर्बलता आदि रोगों को मिटाने की अद्भुत क्षमता रखता है । सुस्ती आने, भाइयाँ लेने, अधिक नींद आने, नाखून नीले पड़ जाने आदि रोगों में नारंगी रंग काफी लाभप्रद होता है ।
नारंगी रंग के सेवन से पेट की गैस दूर होती है। अम्लता वाले रोगियों को विशेष लाभ होता है। खून में लाल कणों की वृद्धि होती है। वृद्धों के लिये ताकत की दवा के समान होता है। स्त्रियों को माहवारी के समय दर्द होने अथवा कम आने
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