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शरीर की मूलभूत आवश्यकताएँ
शरीर को पोषण करने वाले तत्त्वों का सम्यक्
आवश्यक जिस प्रकार अच्छे से अच्छा बीज होते हुए भी अच्छी फसल प्राप्त करने के लिये उसे उचित समय पर बोने के साथ साथ उपजाऊ मिट्टी, हवा, पानी, भोजन, धूप के उचित सेवन की आवश्यकता होती है। उनकी उपेक्षा करने से हम स्वस्थ रहना चाहते हुए तथा उसके लिये निरन्तर प्रयास करने के बावजूद भी अपने आपको पूर्ण स्वस्थ नहीं रख सकते।
। स्वस्थ रहने की कामना रखने वालों को स्वास्थ्य के साधारण नियमों का ईमानदारी पूर्वक पालन करना चाहिए? उन्हें चिन्तन करना चाहिए कि भोजन, पानी, हवा, धूप, व्यायाम और आराम कब करें? क्यों करें? कहां करें? कितना करें? कैसे करें? जीवन के लिये अति आवश्यक इन क्रियाओं को निरन्तर करने के बावजूद इनका पूरा लाभ क्यों नहीं मिलता? .
श्वसन क्रिया . - श्वसन इतनी स्वाभाविक और सहज क्रिया है कि हमारी असजगता में भी स्वतः चालू रहती है। चाहे हम निद्रा में हों अथवा जागृत अवस्था में हमारी श्वसन क्रिया अविराम गति से निरन्तर चलती रहती है।
दो श्वासों के बीच का समय ही जीवन है। प्रत्येक व्यक्ति के श्वासों की संख्या निश्चित होती हैं। जो व्यक्ति आधा.श्वास लेता है वह आधा जीवन ही जीता है। जो सही ढंग से गहरा और पूरा श्वास लेता है, वही पूर्ण जीवन जीता है। अतः जो व्यक्ति जितनी धीमी और दीर्घ श्वास लेता है, उसकी आयु उतनी ही ज्यादा. होती है। जितनी तेज अधूरी और जल्दी-जल्दी श्वास लेते हैं, उतनी ही आयुष्य कम होती है। अधूरी श्वास लेने वालों के फेंफड़े का बहुत सा भाग निष्क्रिय पड़ा रहता
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