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है। जिन मकानों की सफाई नहीं होती, उसमें गन्दगी जमा होने लगती है। ठीक उसी प्रकार, फेंफड़ों के जिन वायु कोषों में श्वास नहीं पहुँचती वहां फेफड़ों को क्षति पहुँचाने वाले विजातीय तत्त्व जमा होने लगते हैं और धीरे-धीरे बढ़ते-बढ़ते वे इतने अधिक बढ़ जाते हैं कि, उनको वहाँ से दूर हटाना आसान नहीं होता। परिणाम स्वरूप श्वसन संबन्धी रोगों से शरीर पीड़ित हो जाता है। अतः श्वसन क्रिया में फेंफड़ों का जितना ज्यादा प्रसारण और संकुचन होता है, श्वसन उतना ही उपयोगी एवं प्रभावशाली होता है। अधिक जीवन शक्ति और शांति का अनुभव होता है। चिन्तन का ढंग बदल जाता है।
. प्राणायाम . ' सम्यक् प्रकार से श्वसन क्रिया को संचालित, नियन्त्रित करने की विधि को प्राणायाम कहते हैं। शरीर का भारीपन एवं मन और मस्तिष्क के तनाव से श्वसन .. क्रिया भी प्रभावित हो जाती है। प्राणायाम से शरीर में प्राण ऊर्जा उत्प्रेरित, संचारित, नियमित और संतुलित होती है। जिस प्रकार बाह्य शरीर की शुद्धि के लिए स्नान , की आवश्यकता होती है, ठीक उसी प्रकार शरीर के आन्तरिक अवयवों के लिये प्राणायाम का बहुत महत्त्व होता है।
आयुर्वेद में वायु का महत्त्व आयुर्वेद के अनुसार कफ, पित्त और वायु का असंतुलन रोग का कारण होता है। शरीर में कफ और पित्त की स्थिति तो अपंग जैसी ही होती है। सारा हलन-चलन, संचालन, वायु के माध्यम से ही होता है। जब हम पूरा, गहरा, धीरे-धीरे श्वास लेते हैं तो शरीर के ज्यादा से ज्यादा अवयवों को प्राण ऊर्जा पहुँचती है। जिससे जो कोशिकाएँ मृत प्रायः हो गई हैं पुनर्जीवित होने लगती है। तीव्र श्वास का सम्बन्ध भय, चिन्ता, तनाव आदि आवेगों से होता है, जबकि मंद गति से गहरी श्वास लेने वाला व्यक्ति अपेक्षाकृत शांत, तनाव मुक्त और प्रसन्न रहता है। गहरी श्वास से डायाफ्राम सहित पेट के समस्त अंगों की अच्छी मसाज हो जाती है। गहरी श्वास लेने से मृत कोशिकाओं को पनुर्जीवित करने हेतु ज्यादा प्राण वायु मिलती है। जल्दी-जल्दी श्वास क्रिया करने से शुद्ध वायु ऑक्सीजन अपना पूरा कार्य किए बिना ही पुनः बाहर निकल जाती है, जिससे शरीर में उसका पूर्ण उपयोग आवश्यकतानुसार नहीं हो पाता।
. जिस स्थान पर ऑक्सीजन का अभाव होता है, उस वातावरण में रोग होने की संभावना अधिक रहती है। जितना कम प्रदूषण उतनी वायु मंडल में ऑक्सीजन की मात्रा अधिक रहती है। पेड़ पौधे ऑक्सीजन के अच्छे स्रोत होते हैं। अतः प्रातःकाल स्वच्छ वातावरण में भ्रमण करने वालों को सहज रूप से प्राण वायु मिल . जाती है।
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