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________________ . कमजोरी, दुर्बलता, चेतना की शून्यता आदि के लक्षण प्रकट होने लगते हैं। .. मानसिक विकारों के परिणामस्वरूप मन स्वछन्द और अनियंत्रित होने . लगता है। चिन्तन और मनन गलत दिशा में होने लगता है। क्योंकि व्यक्ति अपने मनोबल एवं मानसिक क्षमताओं का अवमूल्यन करने लगता है। उसकी प्राथमिकताएँ समस्याओं के स्थायी व प्रभावशाली समाधानों पर न होकर तत्कालीन अनुकूलताओं पर आधारित होने लगती हैं। __.विभाव अवस्था रोग है जैसा कि पूर्व में बतलाया गया है कि "स्वास्थ्य का मतलब है स्व में स्थित हो जाना अर्थात् अपने निज स्वरूप में आ जाना अथवा विभाव अवस्था से निज स्वभाव में आ जाना। जैसे अग्नि के सम्पर्क से पानी उबलने लगता हैं परन्तु जैसे ही पानी - को अग्नि से अलग करते हैं, गर्मी नहीं। पानी को वातावरण के अनुरूप रखने के लिए किसी बाह्यय आलम्बन की आवश्यकता नहीं होती। उसी प्रकार शरीर में हड्डियों का स्वभाव कठोरता है, परन्तु किसी कारणवश कोई हड्डी नरम हो जाए उसमें लचीलापन आ जाए तो रोग का कारण बन जाती है। मांस-पेशियों का स्वभाव लचीलापन है परन्तु उसमें किसी कारणवश कठोरता आ जाए, गांठ हो जाए अथवा विजातीय तत्त्वों के जमाव के कारण अथवा आवश्यक रसायनों के अभाव के कारण यदि शरीर के किसी भाग की मांसपेशियों में लचीलापन समाप्त हो जाए अथवा क्षमतानुसार न हो तो सेग का कारण बन जाती है। शरीर का तापक्रम 98.4 डिग्री फारेनहाइट रहना चाहिए, परन्तु किसी कारणवश कम या ज्यादा जो.जाए तो शरीर में रोग के लक्षण प्रकट हो जाते हैं। रक्त सारे शरीर में आवश्यकतानुसार ऊर्जा , . पहुँचाने का कार्य अबाध गति से करता है। अत: उसके सन्तुलित प्रवाह हेतु . आवश्यक गर्मी एवं निश्चितं दबाब आवश्यक होता है, परन्तु यदि हमारी अप्राकृतिक जीवन शैली से रक्त का बराबर निर्माण न हो अथवा दबाब आवश्यकता से कम या ज्यादा हो जाए तो सारे शरीर में प्राण ऊर्जा का वितरण प्रभावित हो जाता है। रक्त नलिकाओं के फैलने अथवा सिकुड़ने की सम्भावनाएँ बढ़ जाती हैं अर्थात् अपना स्वरूप बदल देती हैं अतः रोग की स्थिति पैदा हो जाती है। ..... इसी प्रकार प्रत्येक जाति के जीवों में शरीर के सभी अंगों एवं उपांगों का आकार निश्चित होता है परन्तु वैसा न हो । विकास जिस अनुपात अथवा अवस्था में होना चाहिए उस अनुपात और अवस्था में न हो। जैसे शरीर बेढंगा हो, शरीर में विकलांगता हो, बौनापन हो, गंजापन हो आदि विकृतियाँ हों, आँखों में अन्धता अथवा दृष्टि कमजोर हो, कान से कम सुनाई देता हो, मुँह से वाणी का उच्चारण बराबर न हो वाणी सम्बन्धी दोष हो आदि सारी शरीर की विभाव दशाएँ हैं। अतः ये रोग की प्रतीक हैं। वृद्धावस्था के पूर्व ही बाल सफेद हो जाएँ दांत गिर जाएँ, त्वचा पर 28
SR No.009375
Book TitleSwadeshi Chikitsa Aapka Swasthya Aapke Hath
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChanchalmal Choradiya
PublisherSwaraj Prakashan Samuh
Publication Year2004
Total Pages94
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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