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________________ मंत्र अधिकार मंत्र यंत्र और तंत्र मुनि प्रार्थना सागर ॐ णमो लोए सव्व साहूणं ह्रः क्षिप्रं साधय साधय वज्रहस्ते भूलिनि दुष्टान रक्ष-रक्ष हूँ फट् स्वाहा। यह पढ़कर अपने चारों तरफ अंगुली से कुण्डल सा खींचे यह ख्याल कर लें कि यह मेरे चारों और वज्र मय कोट है। यह कोट बनाकर चारों तरफ चुटकी बजावें। इसका मतलब है कि जो उपद्रव करने वाले हैं वे सब चले जावें। मैं वज्रकोट के अन्दर वज्रशिला पर बैठा हूं। इससे किसी प्रकार का विघ्न नहीं होता है। (5) रक्षा सूत्र बंधनॐ ह्रीं नमोऽर्हते सर्व रक्ष रक्ष हूँ फट् स्वाहा। दाहिने हाथ में तीन बार लपेट कर बांधे। __(6) यज्ञोपवित धारण मंत्रॐ नमः परमशान्ताय शान्ति कराय पवित्रीकरणायहम् रत्नत्रय स्वरूपं यज्ञोपवीत दधामि, मम गात्रं पवित्रं भवतु अहँ नमः स्वाहा। (प्रतिष्ठा रत्नाकर १०६) (7) मंगल कलश स्थापन मंत्र कलश स्थापना प्रथम मंत्र:-ॐ ह्रां ह्रीं ढूं ह्रौं ह्र: नमोऽर्हते भगवते श्रीमते पद्म-महापद्म तिगिंछ-केसरि-पुण्डरीक-महापुण्डरीक-गंगा-सिन्धु-रोहिद्रोहितास्या हरिद्धहरिकान्ता सीता सीतोदा नारी नरकान्ता सुवर्णकूला रूप्यकूला रक्ता रक्तोदा क्षीराम्भोनिधि-शुद्ध जलं सुवर्णघटं प्रक्षालित-परिपूरितं नवरत्न-गंधाक्षत-पुष्पार्चितममोदकं पवित्रं कुरु कुरु झं झं झौं झौं वं वं मं मं हं हं क्षं क्षं लं लं पं पं द्रां द्रां द्रीं द्रीं हं सः स्वाहा। मंत्र- ॐ ह्रीं स्वस्ति विधानाय मंगल कलश स्थापनं करोमि। प्र. र. ८४ कलश स्थापना द्वितीय मंत्रः-ॐ अद्य भगवतो महा पुरुषस्य श्रीमदादिब्रह्मणो मतेऽस्मिन् विधीयमाने कर्मणी श्री वीर निर्माण संवत्सरे ....... मासे........ पक्षे..... तिथौ.....वासरे......प्रशस्त लगने......कार्यस्य निर्विघ्नं समाप्त्यर्थे नवरत्न गंध पुष्पाक्षत श्री फलादि शोभितं मंगल कलश स्थापनम् करोमि। श्रीं झ्वी हं सः स्वाहा। (8) यंत्र स्थापना मंत्र- ॐ ह्रीं स्वस्ति विधानाय मंगल श्रीमहायंत्र स्थापनं करोमि। (9) दीपक स्थापन मंत्र :-ॐ ह्रीं अज्ञान तिमिर हरं दीपकं स्थापयामि। (10) ध्वाजारोहण मंत्र- ॐ णमो अरिहंताणं स्वस्ति भद्रं भवतु। सर्व लोक शान्ति __ भवतु स्वाहा। (11) श्रीमहायंत्राभिषेक,श्रीमहायंत्र पूजा (देखें पे.नं . 264) ( 12 ) श्रीमहायंत्र/मंगल कलश की आरती (देखें पे.नं . 269) (13) आसन गृहण मंत्र- ॐ ह्रीं अहँ नि:सहि हूँ फट् दर्भासने उपविशामि। 95
SR No.009370
Book TitleMantra Yantra aur Tantra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrarthanasagar
PublisherPrarthanasagar Foundation
Publication Year2011
Total Pages97
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, L000, & L020
File Size1 MB
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