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मंत्र अधिकार
मंत्र यंत्र और तंत्र
मुनि प्रार्थना सागर
२. ॐ ह्रीं णमो सिद्धाणं ह्रीं दक्षिणदिशात् समागत-विघ्नान् निवारय निवारय मां एतान्
सर्व रक्ष रक्ष स्वाहा। (दक्षिण दिशा में पीले सरसों फेकें) ३. ॐ हूं णमो आइरियाणं हूं पश्चिमदिशात् समागत-विघ्नान् निवारय निवारय मां
एतान् सर्व रक्ष रक्ष स्वाहा। (पश्चिम दिशा में पीले सरसों फेकें) ॐ ह्रौं णमो उवज्झायाणं ह्रौं उत्तर-दिशात् समागत-विघ्नान् निवारय निवारय मां एतान् सर्व रक्ष रक्ष स्वाहा। (उत्तर दिशा में पीले सरसों फेकें) ॐ ह्र: णमो लोएसव्वसाहूणं ह्र: ईशान, आग्नेय, नैऋत्य, वायव्य, ऊर्ध्व, अधो आदि सर्व दिशा-विदिशात् समागत-विघ्नान् निवारय निवारय मां एतान् सर्व रक्ष रक्ष स्वाहा। (सभी दिशाओं में पीले सरसों फेकें)
अथवा ॐ क्षां ह्राँ पूर्वे । ॐ ह्रीं अग्नौ। ॐ क्षीं ह्रीं दक्षिणे। ॐ क्षे हें नेऋते। ॐ . हैं पश्चिमे। ॐ क्षों हों वायव्ये। ॐ क्षौं ह्रौं उत्तरे। ॐ शं हं ईशाने। ॐ क्षः ह्र: भूतले। ॐ क्षीं ह्रीं उ॰। ॐ नमोऽर्हते भगवते श्रीमते समस्त दिग्बंधनं करोमि स्वाहा।
अथवा ॐ नमोऽर्हते सर्वं रक्ष रक्ष हूं फट् स्वाहा। इस मंत्र से पुष्प या पीली सरसों को ७ बार मंत्रित करें और सर्व दिशा में फेंके। तथा मंत्र बोलते हुए सब दिशाओं में ताली बजावें व तीन बार चुटकी बजावें।
(4) रक्षा मंत्र पढ़ेप्रथम रक्षा मंत्र-ॐ हूँ झुं फट् किरिटिं-किरिटिं घातय-घातय पर-विघ्नान् स्फोटय
स्फोटय सहस्रखण्डान कुरु-कुरु पर मुद्रान छिंद-छिंद पर मंत्रान भिन्द-भिन्द क्षों क्षः वः वः हूं फट् स्वाहा । (मंत्र पढ़कर अपने ऊपर पुष्प या पीली सरसों का क्षेपण
करें) (प्रतिष्ठा रत्नाकर पेज १७) द्वितीय रक्षा मंत्र-ॐ णमो अरहंताणं, णमो सिद्धाणं, णमो आइरियाणं । णमो उवज्झायाणं,
णमो लोए सव्व साहूणं। एसो पंच णमोकारो सव्व पावप्पणासणो। मंगलाणं च
सव्वेसिं पढमं हवई मंगलं ॐ हूं फट् स्वाहा। तृतीय रक्षा मंत्र-ॐ णमो अरहंताणं ह्रां ह्रदयं रक्ष-रक्ष हूँ फट् स्वाहा ।
ॐ णमो सिद्धाणं ह्रीं शिरो रक्ष-रक्ष हूँ फट् स्वाहा । ॐ णमो आयरियाणं हूँ शिखां रक्ष-रक्ष हूँ फट् स्वाहा । ॐ णमो उवज्झायाणं ह्रौं एहि एहि भगवति वज्र कवच वज्रिणी रक्ष-रक्ष हूँ फट् स्वाहा।
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